Atma Nirbhar Bharat Package: आत्मनिर्भर भारत के तहत विशेष पैकेज की चौथी व अंतिम किश्त का ऐलान करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह पैकेज देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा. इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, एमएसएमई, छोटी कंपनियों और राज्यों को दिये जाने वाले ऋण से जुड़े ऐलान किए. साथ ही मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराने के लिए अतिरिक्त धनराशि की घोषणा भी की.
सात घोषणाएं इस प्रकार हैं-
1. मनरेगा के लिए 61 हजार करोड़ रुपए का था.तमाम मजदूर अपने घर वापस जा रहे हैं। उनको पंजीकरण कराने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है. इस मद में 40 हजार करोड़ अतिरिक्त धनराशि शामिल की जाएगी, ताकि वापस घर जाने वाले मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ही मजदूरी कर सकें और उनको काम की कमी नहीं हो। इससे गरीब मजदूरों को रोजगार मिल सकेगा. यह भी पढ़े: मोदी सरकार ने मजदूरों के जख्मों पर लगाया मुफ्त राशन का मरहम, हर प्रवासी को देगी 2 महीनों तक अनाज, खर्च होंगे 3500 करोड़ रुपये
2 A-हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट को बढ़ाया जाएगा. सभी शहरों में खास कर टियर-2 और टियर-3 शहरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बढ़ाये जाएंगे। सभी जिला अस्पतालों में इंफेक्शियस डिसीस हॉस्पिटल ब्लॉक स्थापित किए जाएंगे। ब्लॉक स्तर पर पब्लिक हेल्थ लैब स्थापित किए जाएंगे. ताकि किसी भी प्रकार की महामारी एक चुनौती के रूप में सामने आती है, तो हम उससे आसानी से निपट सकते हैं. आईसीएमआर के नेतृत्व में नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के सहयोग से शोध को बढ़ावा दिया जाएगा.
2 B- एजूकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो इसमें इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाई को बढ़ावा दिया जाएगा. जल्द ही पीएम ई-विद्या प्रोग्राम के तहत, दीक्षा- वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफॉर्म फॉर एजूकेशन होगा। यह स्कूली शिक्षा के लिए है। कक्षा 1 से 12 तक प्रत्येक कक्षा के लिए चैनल (वन क्लास वन चैनल) लॉन्च किए जाएगे। दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष ई-कंटेंट तैयार किया जाएगा. छात्रों को मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मनोदर्पण पहल की जाएगी। कम्युनिटी रेडियो का उपयोग कर ई-शिक्षण प्रणाली को मजबूत किया जाएगा। देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालय इस काम को करेंगे.
3. आईबीसी से जुड़े मामलों की बात करें तो कई व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अगर किसी व्यापारी की कोरोना वायरस से मृत्यु होती है, तो उसकी कंपनी को डीफॉल्टर की सूची में नहीं रखा जाएगा.अगले एक साल तक एक भी इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। एमएसएमई के लिए स्पेशल इंसॉल्वेंसी रिसॉल्यूशन फ्रेमवर्क जल्द ही आयेगा। अगले
4. छोटी तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को कंपनी ऐक्ट के तहत कई शर्तों को डी-क्रिमिनलाइज़ किया जाएगा। जैसे अगर किसी सीएसआर में, बोर्ड रिपोर्ट में, एजीएम होल्डिंग में देरी हो गई, इस प्रकार की चूक को अपराधीकरण से बाहर कर दिया गया है. इन सबको कंपाउंडेबल ऑफेंस के रूप में नहीं देखा जाएगा। इससे कंपनियों का उत्पीड़न नहीं होगा.
5. भारतीय पब्लिक कंपनियों को यह अधिकार दिया जाएगा, कि वो अपनी सिक्योरिटीज को सीधे विदेशी अधिकार क्षेत्र में लिस्ट करवा सकती हैं. वहीं चूक होने पर छोटी कंपनियों, एक व्यक्ति द्वारा चलायी जा रही कंपनियों, स्टार्टअप, उत्पादन करने वाली कंपनियों पर जुर्माना पहले की तुलना में कम किया जाएगा.
6. पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइस यानी सरकारी उपक्रम की पॉलिसी में परिवर्तन किया जाएगा। पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइस निर्धारित क्षेत्र में काम करते रहेंगे.अभी तक उनके क्षेत्र में निजी कंपनियां आगे नहीं आ पाती थीं. अब प्राइवेट कंपनियों को हर क्षेत्र में व्यापार करने व उद्योग लगाने की अनुमति होगी. जिन क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया जाएगा, उसमें अगर पीएसई कार्यरत होंगे, तो उनमें कम से कम एक पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइस उपस्थित रहेगा. साथ ही प्रत्येक सूचीबद्ध क्षेत्र में अधिकतम 4 पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइसेस को रहने की अनुमति होगी. उदाहरण के तौर पर अगर किसी सूचीबद्ध क्षेत्र में 10 पब्लिक सेक्टर कंपनियां हैं, तो उनमें से कुछ का विलय करके 4 कंपनियों का रूप दिया जाएगा और इस क्षेत्र में प्राइवेट खिलाड़ियों को आगे आने का मौका दिया जाएगा। कुछ उपक्रमों का निजीकरण भी किया जाएगा.