मुंबई की एक अदालत ने बुधवार को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को 2020 के फर्जी टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (TRP) घोटाले से संबंधित अपना मामला वापस लेने की अनुमति दे दी. इस घोटाले में रिपब्लिक टीवी के चीफ संपादक अर्नब गोस्वामी सहित कई लोग आरोपी थे.
मामला वापस लेने की वजह:
- पुलिस का कहना है कि उनके पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोई अपराध हुआ था.
- न तो टीआरपी मापने वाली एजेंसी BARC, न ही कोई विज्ञापनदाता, और न ही कोई दर्शक यह दावा कर रहा है कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई थी.
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अपनी जांच में रिपब्लिक टीवी और आर भरत को टीआरपी नंबरों में हेरफेर करने के आरोपों से बरी कर दिया है.
- पुलिस का कहना है कि मामले में आगे बढ़ने से अदालत का समय और सरकार के पैसे बर्बाद होंगे.
मामले की पृष्ठभूमि:
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- यह मामला 2020 में सामने आया था जब पुलिस को पता चला कि हंसा रिसर्च ग्रुप के कुछ कर्मचारी लोगों को विशेष टीवी चैनल देखने के लिए भुगतान करके टीआरपी रेटिंग में हेरफेर कर रहे थे.
- पुलिस ने इस मामले में 10 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें अर्नब गोस्वामी भी शामिल थे.
- पुलिस ने नवंबर 2020 में एक चार्जशीट दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि रिपब्लिक टीवी ने टीआरपी रेटिंग में हेरफेर करके अधिक राजस्व अर्जित किया था.
- हालांकि, जून 2021 तक, पुलिस ने गोस्वामी को मामले में आरोपी नहीं बनाया था.
[Breaking]
Magistrate Court allows Mumbai Police's application to withdraw all prosecution into the TRP SCAM of 2020 in which Republic TV's ARNAB GOSWAMI was an accused. #TRPScam @MumbaiPolice @republic #ArnabGoswami pic.twitter.com/Mhqf0GOSDc
— Live Law (@LiveLawIndia) March 6, 2024
अदालत का फैसला:
- अदालत ने पुलिस के आवेदन को स्वीकार कर लिया और मामले को वापस लेने की अनुमति दे दी.
- अदालत ने कहा कि पुलिस के पास मामले को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
इस फैसले के मायने:
- इस फैसले से अर्नब गोस्वामी और अन्य आरोपियों को बड़ी राहत मिलेगी.
- यह फैसला टीआरपी रेटिंग प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है.
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह फैसला अंतिम नहीं है. यदि कोई पीड़ित पक्ष इस फैसले से असंतुष्ट है, तो वे उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं.