विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक शीर्ष नेता ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या (Ayodhya) के रामजन्म भूमि– बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का सर्वमान्य समाधान मध्यस्थता से खोजने के प्रयास विफल होने पर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं है, क्योंकि आपसी समझौता कराने की कोशिश करने वाली समिति में दोनों समुदायों पर “व्यापक प्रभाव” रखने वाले प्रतिनिधि शामिल नहीं थे. विहिप नेता ने छह अगस्त से मुकदमे की रोजाना सुनवाई के उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के फैसले का स्वागत करते हुए यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि देश की सबसे बड़ी अदालत इस मामले में “ऐतिहासिक न्याय” करेगी. विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने “पीटीआई-भाषा” से कहा, “हमें इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं है कि मामले (अयोध्या विवाद) में मध्यस्थता कार्यवाही से किसी भी तरह का अंतिम समाधान नहीं निकला है. इस मामले में मध्यस्थता के प्रयास पहले भी नाकाम हो चुके हैं.”
उन्होंने कहा, “मध्यस्थता समिति में ऐसे प्रतिनिधि शामिल नहीं थे जो हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदायों पर व्यापक प्रभाव रखते हों. लिहाजा इस समिति के जरिये मामले में किसी अंतिम समाधान पर पहुंचना संभव नहीं लग रहा था.” मध्यप्रदेश और राजस्थान उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश रह चुके कोकजे ने कहा, “समझौते की मेज पर किसी पक्ष को थोड़ा त्याग करने के लिये वही व्यक्ति प्रेरित कर सकता है जिसका उस पक्ष पर अच्छा प्रभाव हो.” गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट का शुक्रवार को ही संज्ञान लिया कि अयोध्या विवाद का सर्वमान्य हल खोजने के उसके प्रयास विफल हो गये हैं. इस समिति के दो अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल थे.
कोकजे ने हालांकि खुशी जताते हुए कहा, “यह अच्छी बात है कि उच्चतम न्यायालय ने मामले में छह अगस्त से रोजाना सुनवाई का निर्णय किया है. अब हम अपेक्षा करते हैं कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति की तारीख यानी 17 नवंबर से पहले मामले में शीर्ष अदालत का फैसला आ जायेगा.” यह भी पढ़ें- अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मध्यस्थता कामयाब नहीं, 6 अगस्त से होगी नियमित सुनवाई
उन्होंने कहा, “हमें अयोध्या विवाद में उच्चतम न्यायालय से ऐतिहासिक न्याय मिलने की उम्मीद है.” विहिप नेता ने कहा, “राम मंदिर का मामला न केवल करोड़ों हिंदुओं की अटूट आस्था से जुड़ा है, बल्कि यह इस बहुसंख्यक समुदाय के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय का भी प्रश्न है. हम हमेशा से इस बात के पक्ष में रहे हैं कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर संवैधानिक दायरे में भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिये.”