Assam Floods: लोगों की परेशानी कम करने के लिए केंद्र और राज्य मिलकर काम कर रहे हैं : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo Credits: Twitter)

गुवाहाटी, 7 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को असम के लोगों को आश्वासन दिया कि केंद्र और राज्य सरकारें राज्य में जारी मानसूनी बाढ़ में उनकी कठिनाइयों को कम करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं. प्रधानमंत्री ने सहानुभूति व्यक्त की कि पिछले कुछ दिनों से असम भी बाढ़ के रूप में बड़ी चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना कर रहा है.असम के कई जिलों में सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. मोदी ने बुधवार को दिल्ली में अग्रदूत समूह के समाचार पत्रों के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन करने के बाद कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उनकी टीम बाढ़ प्रभावित लोगों के राहत और बचाव के लिए दिन-रात बहुत मेहनत कर रही है.

प्रधानमंत्री ने भारतीय परंपरा, संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम और विकास यात्रा में भारतीय भाषा पत्रकारिता के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित किया. असम ने भारत में भाषा पत्रकारिता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि राज्य पत्रकारिता की ²ष्टि से बहुत जीवंत स्थान रहा है. उन्होंने कहा कि पत्रकारिता 150 साल पहले असमिया भाषा में शुरू हुई और समय के साथ मजबूत होती गई. प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि कनक सेन डेका के मार्गदर्शन में अग्रदूत ने हमेशा राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखा."आपातकाल के दौरान भी जब लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला हुआ, तब भी अग्रदूत दैनिक और डेका जी ने पत्रकारिता मूल्यों से समझौता नहीं किया. उन्होंने मूल्य आधारित पत्रकारिता की एक नई पीढ़ी का निर्माण किया." यह भी पढ़ें : दिलीप घोष की ममता पर टिप्पणी को लेकर विवाद, टीएमसी ने गिरफ्तारी की मांग की

इस बदलाव को साकार करने में जन आंदोलनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, मोदी ने कहा कि लोगों के आंदोलनों ने असम की सांस्कृतिक विरासत और असम के गौरव की रक्षा की है. उन्होंने कहा कि अब असम जनता की भागीदारी से विकास की नई कहानी लिख रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि जब बातचीत होती है तो समाधान भी होता है. संवाद के माध्यम से ही संभावनाओं का विस्तार होता है. इसलिए भारतीय लोकतंत्र में ज्ञान के प्रवाह के साथ-साथ सूचना का प्रवाह भी निरंतर बह रहा है. अग्रदूत उस परंपरा का हिस्सा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी की लंबी अवधि के दौरान भारतीय भाषाओं के विस्तार को रोक दिया गया था और आधुनिक ज्ञान-मीमांसा में, अनुसंधान कुछ भाषाओं तक सीमित था. भारत के एक बड़े हिस्से की उन भाषाओं तक, उस ज्ञान तक पहुंच नहीं थी. उन्होंने कहा कि बुद्धि की विशेषज्ञता का दायरा सिकुड़ता जा रहा है. इसके कारण आविष्कार और नवाचार का पूल भी सीमित हो गया है. यह भी पढ़ें : दिलीप घोष की ममता पर टिप्पणी को लेकर विवाद, टीएमसी ने गिरफ्तारी की मांग की

चौथी औद्योगिक क्रांति में, भारत के लिए दुनिया का नेतृत्व करने का एक बड़ा अवसर है. यह अवसर हमारी डेटा शक्ति और डिजिटल समावेशन के कारण है. प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि "कोई भी भारतीय केवल भाषा के कारण सर्वोत्तम जानकारी, सर्वोत्तम ज्ञान, सर्वोत्तम कौशल और सर्वोत्तम अवसर से वंचित नहीं होना चाहिए, यही हमारा प्रयास है. इसलिए हमने शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति में भारतीय भाषाओं में अध्ययन को प्रोत्साहित किया." उन्होंने हाल ही में लॉन्च किए गए यूनिफाइड लैंग्वेज इंटरफेस, भाशिनी प्लेटफॉर्म के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, "करोड़ों भारतीयों को उनकी अपनी भाषा में इंटरनेट उपलब्ध कराना सामाजिक और आर्थिक हर पहलू से महत्वपूर्ण है."

असम और पूर्वोत्तर की जैव विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि असम में संगीत की समृद्ध विरासत है और इसे बड़े पैमाने पर दुनिया तक पहुंचाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र की भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी के संबंध में पिछले 8 वर्षों के प्रयास असम की आदिवासी परंपरा, पर्यटन और संस्कृति के लिए बेहद फायदेमंद होंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियानों में हमारे मीडिया द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका की आज भी पूरे देश और दुनिया में सराहना की जाती है.