आईआईटी दिल्ली की एक शोध टीम ने बनाया विशेष सूती कपड़ा, हानिकारक वायु प्रदूषक कणों को होगा सोखने में सक्षम
कॉटन (Photo Credit- Pixabay)

New Delhi , 23 अगस्त : आईआईटी दिल्ली (Delhi) की एक शोध टीम ने एक विशेष संशोधित सूती कपड़ा विकसित किया है. यह सूती कपड़ा हवा से हानिकारक वायु प्रदूषक कणों को सोखने में सक्षम है. आईआईटी दिल्ली के कपड़ा और फाइबर इंजीनियरिंग विभाग में स्मिता रिसर्च लैब में प्रोफेसर अश्विनी के अग्रवाल और प्रो. मंजीत जस्सल एवं भौतिकी विभाग में प्रोफेसर शाश्वत भट्टाचार्य के नेतृत्व में यह रिसर्च किया गया है. इस संशोधित सूती कपड़े के बारे में प्रोफेसर अश्विनी अग्रवाल ने कहा, यह सूती कपड़ा तेजी से और आसान के साथ पर्यावरण के अनुकूल इनडोर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की एक बड़ी क्षमता है.  इन कपड़ों का उपयोग गैसीय प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए असबाब के रूप में किया जा सकता है. विशेष रूप से, इनका उपयोग घरों, कार्यालयों, थिएटरों, हवाई जहाजों और अन्य परिवहन वाहनों जैसे बंद स्थानों में किया जा सकता है. यह भी देखे:त्वचा और बालों को प्रदूषण से रखें सुरक्षित

आईआईटी दिल्ली ने बताया कि यह जिओलाइट इमिडाजोलेट फ्रेमवर्क संशोधित कार्यात्मक कपड़े हैं, जो परिवेशी वायु से बेंजीन, एनिलिन और स्टाइरीन जैसे कार्बनिक वायु प्रदूषकों के उच्च स्तर को सोख लेते हैं. गौरतलब है कि पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter), नाइट्रस ऑक्साइड (nitrous oxide), सल्फर ऑक्साइड (sulfur oxide), कार्बन ऑक्साइड (carbon oxide) और अन्य जहरीले वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) के बढ़ते स्तर के परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय है.  इन रसायनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है. इससे अस्थमा, आंख और गले में जलन आदि रोग भी हो सकते हैं.

आईआईटी दिल्ली के रिसर्च स्कॉलर हरदीप सिंह के अनुसार सक्रिय कार्बन, जिओलाइट्स और मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (एमओएफ) जैसा झरझरा पदार्थ हवा से वीओसी को सोखने में सक्षम हैं.  एमओएफ को ऐसे वस्त्र बनाने में बदला जा सकता है जिनमें एंटीमाइक्रोबायल, बायोमेडिकल, पार्टिकुलेट मैटर फिल्टरिंग, ईंधन फिल्टरिंग, रासायनिक युद्ध सुरक्षा और यूवी विकिरण अवशोषित गुण होते हैं.  जिओलाइट इमिडाजोलेट फ्रेमवर्क विशेष रूप से भारतीय परिस्थितियों में अधिक उपयुक्त हैं. यह भी पढ़ें:

तेजी से पानी आधारित कपड़ा परिष्करण दृष्टिकोण का उपयोग करके कार्बोक्सिमिथाइलेटेड (carboxymethylated) इस सूती कपड़े पर नैनोक्रिस्टल के इन-सीटू विकास के रूप में जानी जाने वाली तकनीक का उपयोग करते हुए, आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने यह कम लागत वाला सूती कपड़ा सफलतापूर्वक विकसित किया है, जो है साधारण सूती कपड़ों की तुलना में 400-600 फीसदी अधिक वीओसी सोखने में सक्षम. इसके अलावा, ये कपड़े मजबूत हैं और धोने की कठोर परिस्थितियों का भी सामना कर सकते हैं। इनका बार-बार उपयोग किया जा सकता है.