नोटबंदी के साइड इफेक्ट्स: 50 लाख लोगों ने गंवाई अपनी नौकरी- रिपोर्ट
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा 8 नवंबर 2016 को किए गए नोटबंदी (Demonetisation) के ऐलान के बाद से अब तक 50 लाख लोगों की नौकरियां (Jobs) चली गई है. बेंगलुरु (Bengaluru) स्थित अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी (Azim Premji University) के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट (CSE) द्वारा मंगलवार को रोजगार और मजदूरी पर जारी ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2019' रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016 से 2018 के बीच 50 लाख लोगों ने नौकरी गंवाई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 20-24 आयु वर्ग में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है और नोटबंदी से पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा प्रभावित हुई हैं.

'सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्लॉयमेंट' की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि अपनी नौकरी गंवाने वाले इन 50 लाख पुरुषों में शहरी और ग्रामीण इलाकों के कम शिक्षित पुरुषों की संख्या अधिक है. इस आधार पर रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि नोटबंदी ने सबसे अधिक असंगठित क्षेत्र को ही तबाह किया है. लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान यह रिपोर्ट सामने आने से विरोधी पार्टियों को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका मिल गया है. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: मध्यप्रदेश के 61.91 प्रतिशत मतदाताओं ने रोजगार को बताया सबसे बड़ा मुद्दा

इससे पहले जनवरी 2019 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर 45 साल में सर्वाधिक थी, हालांकि यह रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हुई और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो सदस्यों ने इसके विरोध में इस्तीफा दे दिया था. यह रिपोर्ट दैनिक अखबार 'बिजनेस स्टैंडर्ड' ने प्रकाशित की थी, जिसके अनुसार, 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी थी, जो कि 1972-73 के बाद सर्वाधिक है.

हालांकि एनएसएस की रिपोर्ट बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित होने के बाद मचे बवाल को देखते हुए स्थिति को संभालने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और सीईओ अमिताभ कांत सामने आए और उन्होंने दावा किया था कि रिपोर्ट को अभी अंतिम रूप प्रदान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा था कि जांच के बाद अंतिम रिपोर्ट जारी की जाएगी.