
नहीं रहे दादा साहेब फालके पुरस्कार विजेता मृणाल सेन, 95 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
हिंदी और बांगला फिल्मों के प्रसिद्द प्रड्यूसर और डाइरेक्टर मृणाल सेन (Mrinal Sen) ने 95 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. 1955 में मृणाल सेन ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म 'रातभोर' से की थी...

हिंदी और बांगला फिल्मों के प्रसिद्द प्रड्यूसर और डाइरेक्टर मृणाल सेन (Mrinal Sen) ने 95 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. 1955 में मृणाल सेन ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म 'रातभोर' से की थी. लेकिन उन्हें पहचान दूसरी फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' से मिली और उनकी तीसरी फिल्म 'बाइशे श्रावण' ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.
मृणाल सेन को भारत सरकार द्वारा 1981 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण, उसके बाद पद्म विभूषण से नावाजा गया. साल 2005 में उन्हें दादा साहेब फालके पुरस्कार मिला. इसके अलावा उन्हें नैशनल और इंटरनैशनल लेवल कर कई पुरस्कारों से नवाजा गया. उनका जन्म 14 जनवरी 1923 को बांग्लादेश के फरीदपुर में हुआ था. 80 साल की उम्र में उन्होंने अपनी आखिरी फिल्म 'अमार भुवन' साल 2002 में बनाई. मृणाल सेन ने कुछ बेहतरीन एक्टर्स की खोज की थी जिसमें स्मिता पाटिल (Smita Patil) मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Murali) शबाना आज़मी (Shabana Azmi) नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah), ओम पुरी (Om Puri) जैसे कई और कलाकार भी शामिल हैं.
उन्होंने 1977 में अपनी फिल्म 'मृगया' में मिथुन को लॉन्च किया था और मिथुन को इस फिल्म के लिए पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. मृणाल सेन को भारत का सबसे ईमानदार डाइरेक्टर माना जाता था. दुनिया में ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो अपनी गलतियों से सिखते हैं, मृनाल सेन उनमें से एक थे. वो एक महान इंसान और महान डाइरेक्टर थे, जिन्होंने पूरी जिंदगी हिंदी और बांगला फिल्म इंडस्ट्री को बेहतरीन फिल्में दी. ये दुनिया उनके कामों के लिए उन्हें हमेशा याद करेगी.

हिंदी और बांगला फिल्मों के प्रसिद्द प्रड्यूसर और डाइरेक्टर मृणाल सेन (Mrinal Sen) ने 95 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. 1955 में मृणाल सेन ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म 'रातभोर' से की थी. लेकिन उन्हें पहचान दूसरी फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' से मिली और उनकी तीसरी फिल्म 'बाइशे श्रावण' ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.
मृणाल सेन को भारत सरकार द्वारा 1981 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण, उसके बाद पद्म विभूषण से नावाजा गया. साल 2005 में उन्हें दादा साहेब फालके पुरस्कार मिला. इसके अलावा उन्हें नैशनल और इंटरनैशनल लेवल कर कई पुरस्कारों से नवाजा गया. उनका जन्म 14 जनवरी 1923 को बांग्लादेश के फरीदपुर में हुआ था. 80 साल की उम्र में उन्होंने अपनी आखिरी फिल्म 'अमार भुवन' साल 2002 में बनाई. मृणाल सेन ने कुछ बेहतरीन एक्टर्स की खोज की थी जिसमें स्मिता पाटिल (Smita Patil) मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Murali) शबाना आज़मी (Shabana Azmi) नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah), ओम पुरी (Om Puri) जैसे कई और कलाकार भी शामिल हैं.
उन्होंने 1977 में अपनी फिल्म 'मृगया' में मिथुन को लॉन्च किया था और मिथुन को इस फिल्म के लिए पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. मृणाल सेन को भारत का सबसे ईमानदार डाइरेक्टर माना जाता था. दुनिया में ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो अपनी गलतियों से सिखते हैं, मृनाल सेन उनमें से एक थे. वो एक महान इंसान और महान डाइरेक्टर थे, जिन्होंने पूरी जिंदगी हिंदी और बांगला फिल्म इंडस्ट्री को बेहतरीन फिल्में दी. ये दुनिया उनके कामों के लिए उन्हें हमेशा याद करेगी.

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