Karnataka Election 2023: कर्नाटक में आज शाम थम जाएगा चुनाव प्रचार का शोर, 10 मई को डाले जाएंगे वोट

कर्नाटक में 10 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार अभियान का शोर सोमवार शाम थम जाएगा. इस बार के चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फिर से सत्ता में वापसी के लिए तो वहीं कांग्रेस उसे पटखनी देने के लिए जोर आजमाइश कर रही है. राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बने जनता दल (सेक्युलर) ने भी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

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Karnataka Election 2023: कर्नाटक में आज शाम थम जाएगा चुनाव प्रचार का शोर, 10 मई को डाले जाएंगे वोट

कर्नाटक में 10 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार अभियान का शोर सोमवार शाम थम जाएगा. इस बार के चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फिर से सत्ता में वापसी के लिए तो वहीं कांग्रेस उसे पटखनी देने के लिए जोर आजमाइश कर रही है. राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बने जनता दल (सेक्युलर) ने भी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

एजेंसी न्यूज Bhasha|
Karnataka Election 2023: कर्नाटक में आज शाम थम जाएगा चुनाव प्रचार का शोर, 10 मई को डाले जाएंगे वोट
Vote | Representative Image (Photo: PTI)

बेंगलुरु, आठ मई: कर्नाटक में 10 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार अभियान का शोर सोमवार शाम थम जाएगा. इस बार के चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फिर से सत्ता में वापसी के लिए तो वहीं कांग्रेस उसे पटखनी देने के लिए जोर आजमाइश कर रही है। राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बने जनता दल (सेक्युलर) ने भी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. यह भी पढ़ें: Karnataka Election 2023: कांग्रेस के नेता भूपेश बघेल ने BJP पर साधा निशाना कहा- धर्म के नाम पर वोट लेकर सत्ता में आयी बीजेपी

इन राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता पिछले कुछ दिनों से राज्य के विभिन्न हिस्सों का तूफानी दौरा कर रहे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में क्रमिक रूप से बदलाव की 38 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने और दक्षिण भारत में अपने गढ़ को बचाने की कोशिश में जुटी है. भाजपा से सत्ता छीनने के लिए कांग्रेस अपनी ओर से कड़ी मेहनत कर रही है और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मुख्य विपक्षी दल के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है.

पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) को चुनाव प्रचार में अपनी पूरी शक्ति झोंकते देखा जा सकता है और वह (जद-एस) चुनावों में ‘किंगमेकर’ नहीं, बल्कि विजेता बन कर उभरना चाहता है. भाजपा का चुनाव प्रचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मे, ‘डबल इंजन’ की सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों और कार्यक्रमों या केंद्र एवं राज्य सरकारों की उपलब्धियों पर केंद्रित रहा है.

कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को उठा रही है और शुरूआत में इसके चुनाव प्रचार की बागडोर स्थानीय नेताओं के हाथों में थी। हालांकि, बाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा जैसे इसके शीर्ष नेता भी चुनाव प्रचार में शामिल हो गये. पिछले दिनों सोनिया गांधी ने भी राज्य में चुनावी जनसभा को संबोधित किया.

जद (एस) भी चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दे रहा है. इसके नेता एच डी कुमारस्वामी के साथ-साथ देवेगौड़ा भी प्रचार कर रहे हैं. मोदी ने 29 अप्रैल से अब तक करीब 18 जनसभाएं और छह रोड शो किये हैं. चुनाव कार्यक्रम की 29 मार्च को घोषणा होने से पहले मोदी ने जनवरी से तब तक सात बार राज्य का दौरा किया था और विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया. साथ ही, सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के साथ हुई कई बैठकों को संबोधित किया.

भाजपा नेताओं के मुताबिक, मोदी के पूरे प्रदेश के दौरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है और मतदाताओं में विश्वास भरा है. पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित पार्टी के अन्य नेताओं के तूफानी चुनाव प्रचार का उसे लाभ मिलेगा.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और शाह ने मतदान से पहले कांग्रेस को पीछे धकेल दिया है.’’ उक्त नेताओं के अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हिमंत विश्व शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, प्रमोद सावंत तथा केंद्रीय मंत्रियों--निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर, स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी-- सहित अन्य ने भी प्रचार करने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया है.

भाजपा को 2008 और 2018 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद राज्य में अपने बूते सरकार बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। हालांकि, इस बार पार्टी स्पष्ट जनादेश की उम्मीद कर रही है. पार्टी ने कम से कम 150 सीट पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है.

लेकिन यदि पलड़ा कांग्रेस के पक्ष में झुकता है तो यह कांग्रेस के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित होगा और यह इसकी चुनावी संभावनाओं में नयी जान फूंकने में अहम भूमिका निभाएगा. कांग्रेस इस चुनाव में जीत हासिल कर साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की ‘चुनावी मशीनरी’ का मुकाबला करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करना चाहती है.

कांग्रेस की ओर से शुरूआत में चुनाव प्रचार प्रदेश के नेता सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार के इर्द-गिर्द केंद्रित था, खरगे ने इसे गति दी और पार्टी के शीर्ष नेताओं राहुल तथा प्रियंका के इसमें शामिल होने से तैयारियों को मजबूती मिली.

चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में पहुंचने पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को हुब्बली में पार्टी की एक जनसभा को संबोधित किया. यह चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है, क्योंकि खरगे स्वयं राज्य के कलबुर्गी जिले के रहने वाले हैं। कांग्रेस पार्टी ने भी 150 सीट पर जीत का लक्ष्य रखा है.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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बेंगलुरु, आठ मई: कर्नाटक में 10 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार अभियान का शोर सोमवार शाम थम जाएगा. इस बार के चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फिर से सत्ता में वापसी के लिए तो वहीं कांग्रेस उसे पटखनी देने के लिए जोर आजमाइश कर रही है। राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बने जनता दल (सेक्युलर) ने भी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. यह भी पढ़ें: Karnataka Election 2023: कांग्रेस के नेता भूपेश बघेल ने BJP पर साधा निशाना कहा- धर्म के नाम पर वोट लेकर सत्ता में आयी बीजेपी

इन राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता पिछले कुछ दिनों से राज्य के विभिन्न हिस्सों का तूफानी दौरा कर रहे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में क्रमिक रूप से बदलाव की 38 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने और दक्षिण भारत में अपने गढ़ को बचाने की कोशिश में जुटी है. भाजपा से सत्ता छीनने के लिए कांग्रेस अपनी ओर से कड़ी मेहनत कर रही है और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मुख्य विपक्षी दल के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है.

पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) को चुनाव प्रचार में अपनी पूरी शक्ति झोंकते देखा जा सकता है और वह (जद-एस) चुनावों में ‘किंगमेकर’ नहीं, बल्कि विजेता बन कर उभरना चाहता है. भाजपा का चुनाव प्रचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मे, ‘डबल इंजन’ की सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों और कार्यक्रमों या केंद्र एवं राज्य सरकारों की उपलब्धियों पर केंद्रित रहा है.

कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को उठा रही है और शुरूआत में इसके चुनाव प्रचार की बागडोर स्थानीय नेताओं के हाथों में थी। हालांकि, बाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा जैसे इसके शीर्ष नेता भी चुनाव प्रचार में शामिल हो गये. पिछले दिनों सोनिया गांधी ने भी राज्य में चुनावी जनसभा को संबोधित किया.

जद (एस) भी चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दे रहा है. इसके नेता एच डी कुमारस्वामी के साथ-साथ देवेगौड़ा भी प्रचार कर रहे हैं. मोदी ने 29 अप्रैल से अब तक करीब 18 जनसभाएं और छह रोड शो किये हैं. चुनाव कार्यक्रम की 29 मार्च को घोषणा होने से पहले मोदी ने जनवरी से तब तक सात बार राज्य का दौरा किया था और विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया. साथ ही, सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के साथ हुई कई बैठकों को संबोधित किया.

भाजपा नेताओं के मुताबिक, मोदी के पूरे प्रदेश के दौरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है और मतदाताओं में विश्वास भरा है. पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित पार्टी के अन्य नेताओं के तूफानी चुनाव प्रचार का उसे लाभ मिलेगा.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और शाह ने मतदान से पहले कांग्रेस को पीछे धकेल दिया है.’’ उक्त नेताओं के अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हिमंत विश्व शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, प्रमोद सावंत तथा केंद्रीय मंत्रियों--निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर, स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी-- सहित अन्य ने भी प्रचार करने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया है.

भाजपा को 2008 और 2018 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद राज्य में अपने बूते सरकार बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। हालांकि, इस बार पार्टी स्पष्ट जनादेश की उम्मीद कर रही है. पार्टी ने कम से कम 150 सीट पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है.

लेकिन यदि पलड़ा कांग्रेस के पक्ष में झुकता है तो यह कांग्रेस के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित होगा और यह इसकी चुनावी संभावनाओं में नयी जान फूंकने में अहम भूमिका निभाएगा. कांग्रेस इस चुनाव में जीत हासिल कर साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की ‘चुनावी मशीनरी’ का मुकाबला करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करना चाहती है.

कांग्रेस की ओर से शुरूआत में चुनाव प्रचार प्रदेश के नेता सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार के इर्द-गिर्द केंद्रित था, खरगे ने इसे गति दी और पार्टी के शीर्ष नेताओं राहुल तथा प्रियंका के इसमें शामिल होने से तैयारियों को मजबूती मिली.

चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में पहुंचने पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को हुब्बली में पार्टी की एक जनसभा को संबोधित किया. यह चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है, क्योंकि खरगे स्वयं राज्य के कलबुर्गी जिले के रहने वाले हैं। कांग्रेस पार्टी ने भी 150 सीट पर जीत का लक्ष्य रखा है.

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