देश की खबरें | वाम नेताओं की मौजूदगी में तेजस्वी ने राजग के ‘कुशासन’ पर रिपोर्ट कार्ड पेश किया

पटना, पांच जून बिहार में विपक्षी महा गठबंधन ने रविवार को केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर भारत में ‘अघोषित आपातकाल’ लागू करने का आरोप लगाया, जहां असहमति को जांच एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ के जरिये दबाया जा रहा है और सत्ता पक्ष की आलोचना करने वाले लोगों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव, जो बिहार में विपक्ष के नेता हैं, ने भाकपा और भाकपा (माले) के महासचिव क्रमश: डी राजा और दीपांकर भट्टाचार्य के साथ यहां एक विशाल सभा को संबोधित किया।

यह सभा जयप्रकाश नारायण द्वारा शहर के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ‘संपूर्ण क्रांति’ के आह्वान की 48वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की गई थी।

सभा में तेजस्वी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के कथित कुशासन को लेकर एक ‘रिपोर्ट कार्ड’ पेश किया। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट कार्ड में यह रेखांकित करने की कोशिश की गई है कि राज्य में भले ही एक समाजवादी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार है, लेकिन वह ‘नागपुर के एजेंडे के हिसाब से’ चल रही है। तेजस्वी का इशारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय की तरफ माना जा रहा है।

उन्होंने राजग पर ‘पिछले दरवाजे से सत्ता’ हासिल करने का आरोप लगाया। इसे लगभग चार साल की कटुता के बाद 2017 में भाजपा और जद (यू) के अचानक साथ आने और 2020 के विधानसभा चुनावों में प्रशासनिक मशीनरी के कथित दुरुपयोग के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसमें महागठबंधन जीत से कुछ कदम दूर रह गया था।

तेजस्वी ने दावा किया कि उनकी पार्टी ‘एकमात्र ऐसा क्षेत्रीय दल है, जिसने कभी भी भाजपा के साथ समझौता नहीं किया है’ और लोगों को अपने पिता लालू प्रसाद की याद दिलाई, जो ‘‘सभी जांच एजेंसियों के उनके पीछे पड़ जाने के बावजूद कभी नहीं झुके।’

राजद नेता ने कहा कि देश में ‘अघोषित आपातकाल’ है और भाजपा समर्थक तत्वों के ‘हिंदू खतरों में हैं’ तर्क का मजाक उड़ाया।

तेजस्वी ने आश्चर्य जताया कि जब अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी सदस्य शीर्ष संवैधानिक पदों पर नहीं है तो उन्हें मुसलमानों से खतरा क्यों महसूस होता है।

सभा में डी राजा ने ‘हमारे राष्ट्र और हमारे संविधान को बचाने’ के लिए विपक्षी एकता की आवश्यकता को रेखांकित किया।

वहीं, भट्टाचार्य ने अपने आक्रामक भाषण की शुरुआत इस बात को स्वीकार करने के साथ की कि उनकी पार्टी ‘हाल-फिलहाल तक’ राजद के खिलाफ थी, लेकिन ‘सांप्रदायिक फासीवाद में बदली सांप्रदायिकता’ के खिलाफ ‘बड़ी लड़ाई’ के लिए अपने रुख में बदलाव किया।

भट्टाचार्य ने कहा, “उन्होंने बाबरी मस्जिद से शुरुआत की और अब ताज महल और कुतुब मीनार पर आ गए हैं।”

भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें नक्सलबाड़ी विद्रोह से जुड़े होने पर गर्व है, जो ‘अभी भी वर्तमान शासन को दहशत में ला देता है, यही कारण है कि वे लोगों को ‘अर्बन नक्सली’ जैसे नामों से पुकारना पसंद करते हैं।’

उन्होंने बिहार में नक्सल आंदोलन की गहरी जड़ों को भी याद किया, जहां उनकी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनावों में एक दर्जन सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था, जो तीन दशक पहले चुनावी राजनीति में प्रवेश के बाद से उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

सभा में कांग्रेस की गैर-मौजूदगी पर सवाल भी उठे, जो विधानसभा चुनावों में महागठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी घटक थी।

हालांकि, भट्टाचार्य सहित कुछ नेताओं के संबोधन में कांग्रेस का जिक्र आया। भट्टाचार्य ने आपातकाल विरोधी संघर्ष को याद किया, जो उस वक्त मौजूदा समय की भाजपा से कहीं ज्यादा मजबूत कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने का कारण बना।

कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा, “हमें सभा के बारे में न तो सूचित किया गया और न ही आमंत्रित किया गया।”

वहीं, भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने आरोप लगाया कि राजद ‘‘राहुल गांधी की गोद में बैठा हुआ है, जिन्हें वह प्रधानमंत्री बनाना चाहता है।’’

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