
कोलकाता, 27 मार्च कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को यादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में किसी भी राजनीतिक पदाधिकारी को आमंत्रित न करें।
इसने यह भी कहा कि परिसर के भीतर होने वाले समारोहों में केवल शिक्षाविदों की भागीदारी होनी चाहिए।
अदालत ने टिप्पणी की कि विश्वविद्यालय को यह याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है कि विद्यार्थी को छोड़कर किसी भी व्यक्ति को परिसर में प्रवेश करने या छात्रावासों में रहने का अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा कि यदि इस नियम में अपवाद की व्यवस्था की जाती है, तो इसके लिए प्राधिकारियों की पूर्व अनुमति लेनी होगी।
विद्यार्थियों के एक समूह और पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के काफिले के बीच हाल में हुई झड़पों के मद्देनजर, अदालत यादवपुर विश्वविद्यालय में अराजकता और अनुशासनहीनता का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में संस्थान में व्यवस्था बहाल करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस बात पर गौर किया कि जब मंत्री एक बैठक के लिए विश्वविद्यालय गए थे तो उनके वाहन को कथित रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
पीठ ने आश्चर्य जताया कि यदि वहां स्थिति अनुकूल नहीं थी तो राजनीतिज्ञ ने परिसर का दौरा करने का निमंत्रण पहले ही क्यों स्वीकार कर लिया।
पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि विश्वविद्यालय ने सहायता के लिए राज्य से संपर्क क्यों नहीं किया। इस पहलू पर सुनवाई की अगली तारीख पर विचार किया जाएगा... हाल में विश्वविद्यालय में एक उच्च पदस्थ राजनीतिज्ञ पर हमला हुआ था।’’
पीठ में न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) भी शामिल थीं। पीठ ने निर्देश दिया कि इसके कार्यक्रमों या सेमिनार में केवल शिक्षाविदों को ही आमंत्रित किया जाना चाहिए।
अदालत ने सवाल किया कि क्या निजी सुरक्षा एजेंसियां परिसर, छात्रों, शिक्षण, गैर-शिक्षण और प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
अदालत ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह तीन सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर करे, जब मामले की फिर से सुनवाई होगी, जिसमें ऐसे निर्णयों के कार्यान्वयन के तरीके बताए जाएं।
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