SEBI on Shareholders: सेबी समिति ने शेयरधारकों के बीच सूचना की कमी की समस्या दूर करने के लिये दिये सुझाव
सेबी (Photo Credits: File Photo)

नयी दिल्ली. सेबी की एक समिति ने यह सिफारिश की है कि सूचीबद्ध कंपनियों को वित्तीय परिणाम के बाद ‘कांफ्रेन्स कॉल’ की ऑडियो और वीडियो रिकार्डिंग अपनी वेबसाइट पर डालने के साथ उसे शेयर बाजारों को देनी चाहिए. उन्हें यह सब 24 घंटे के भीतर या अगले कारोबारी दिवस से पहले करना चाहिए. समिति ने शेयरधरकों के बीच सूचना के मामले में विसंगतियों को दूर करने के लिये यह सिफारिश की है.

विश्लेषकों की बैठक, निवेशकों की बैठक तथा कांफ्रेन्स कॉल से संबंधित खुलासे पर रिपोर्ट में यह सिफारिश की गयी है. रिपोर्ट एचडीएफसी के उपाध्यक्ष और सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) केकी मिस्त्री की अध्यक्षता वाले उप-समूह ने तैयार की है। उप-समूह का गठन प्राथमिक बाजार परामर्श समिति ने किया था. उप-समूह ने यह भी सुझाव दिया है कि वित्तीय परिणाम के बाद कांफ्रेन्स कॉल की बातें लिखित में सूचीबद्ध कंपनियों की वेबसाइट तथा संबंधित शेयर बाजारों पर उपलब्ध होनी चाहिए। लिखित में यह जानकारी कांफ्रेन्स कॉल के पांच कामकाजी दिवस के भीतर दी जानी चाहिए.यह भी पढ़े | Indira Priyadarshini Nature Safari Mohraenga’ Inauguration Live Streaming: छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल राज्य के नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन का कर रहे है उद्घाटन, यहां देखें लाइव.

साथ ही, सूचीबद्ध कंपनियों को ऑडियो/वीडियो रिकार्डिंग तथा लिखित सूचना अपनी वेबसाइट पर कम-से-कम आठ साल तक रखनी चाहिए.रिपोर्ट के अनुसार उप-समूह की ये सिफारिशों चरणबद्ध तरीके से लागू की जानी चाहिए. शुरू में एक साल के लिये यह सिफारिश के रूप में होना चाहिए और उसके बाद इसे सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिये अनिवार्य किया जाना चाहिए.

समूह ने यह पाया कि हालांकि कुछ कंपनियों के पास शेयरधारकों तक सूचना पहुंचाने को लेकर बेहतर व्यवस्था है लेकिन कई सूचीबद्ध कंपनियां ऐसी हैं, जिनके पास इस प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराने की प्रणाली नहीं है. यह भी पाया गया कि कई सूचीबद्ध कंपनियां संस्थागत निवेशकों या निवेशकों के साथ कांफ्रेन्स कॉल की बातों को उजागर करती हैं. लेकिन कई मामलों में पाया गया कि ऐसी बैठकों की बातों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी जाती।

उप-समूह के अनुसार पुन: कई अल्पांश शेयरधारक इस प्रकार की बैठकों में शामिल नहीं होते. उन्हें वह सूचना नहीं मिलती जो चुनिंदा निवेशकों के समूह को प्राप्त होती है। इससे सूचना के मामले में विभिन्न श्रेणी के शेयरधारकों के बीच विसंगतियां पायी जाती हैं.

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