Vijay Diwas 2024: पाकिस्तानी हुकूमत ने जब-जब भारतीय सैन्य शक्ति को ललकारा, तब-तब भारतीय सेना ने उसे तहस-नहस किया. ऐसी ही घटनाओं की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, 16 दिसंबर को मनाये जाने वाला विजय दिवस. पाकिस्तान पर भारत की इस विजय परचम ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर स्वतंत्र बांग्लादेश का निर्माण किया. विजय दिवस (16 दिसंबर 2024) के अवसर पर हम इस युद्ध के महत्वपूर्ण तथ्यों पर बात करेंगे. यह भी पढ़े: Vijay Diwas 2024: PM मोदी ने ‘विजय दिवस’ पर शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि, 1971 की ऐतिहासिक जीत को किया याद; जानें इस दिन का इतिहास और महत्व
ऐसे हुई शुरुआत
इस युद्ध की पृष्ठभूमि 1971 की शुरुआत से ही बनने लगी थी. पाकिस्तानी सेना के तानाशाह याहिया खां 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जन भावनाओं को सैनिक शक्ति से कुचलने का आदेश दे दिया था. शेख मुजीब के नेतृत्व में पूर्वी पाकिस्तान का यह युद्ध बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में परिवर्तित हो गया. पाकिस्तानी हुकूमत ने शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया. पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में घुसकर बड़े पैमाने पर अत्याचार, बलात्कार और नरसंहार करने शुरु किये. परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान से लाखों लोग शरणार्थी के रूप में भारत पहुंचे.
‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ और ‘ऑपरेशन पायथन’ ने रचा इतिहास
पूर्वी पाकिस्तान पर पाकिस्तानी सेना के बर्बरात्मक कार्रवाई और स्वतंत्र बांग्लादेश को समर्थन में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए 4 दिसंबर 1971 में पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर पहले नौसैनिक मिशन ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत हमला, इसके तुरंत पश्चात ‘ऑपरेशन पायथन’ शुरू किया. इन दोनों ऑपरेशनों के तहत भारतीय सेना के शूरवीरों ने पाकिस्तान की सैन्य अभियानों की कमर तोड़ दी.
पूर्वी पाकिस्तान का पतन बांग्लादेश का उदय
भारतीय सेना की दो-तरफा कार्रवाई के पश्चात पाकिस्तानी सेना के हौसले पस्त हो गये. 16 दिसंबर 1971 को ढाका स्थित रेसकोर्स ग्राउंड में पाकिस्तान की पूर्वी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी ने लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी बलों के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. जानकारों के अनुसार द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात यह सबसे बड़ी सैन्य आत्मसमर्पण की घटना थी.
पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के पश्चात एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया गया. मुक्तिवाहिनी के निर्माता एवं नेता शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के प्रथम प्रधानमंत्री बने.
विजय दिवस का महत्व
इस बड़ी विजय के बाद से इस दिन (16 दिसंबर) को भारतीय सशस्त्र बलों, विशेष रूप से थल सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त बहादुरी, बलिदान और वीरता का सम्मान करने हेतु विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस अवसर पर विभिन्न सैन्य समारोह, परेड और स्मरण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. यद्यपि इस युद्ध में 3900 भारतीय सैनिक शहीद हुए, और 9851 सैनिक घायल हुए थे. इस दिन उन्हीं सैनिकों की स्मृति में युद्ध स्मारकों पर पुष्पांजलि अर्पित करने और शहीद सैनिकों के सम्मान के रूप में मनाया जाता है.