Chhatrapati Sambhaji Maharaj Rajyabhishek 2025: 18 वर्ष की आयु में हुआ था ‘दक्कन के शेर’ संभाजी महाराज का राज्याभिषेक! जानें इतिहास एवं महत्व!
संभाजी महाराज (Photo: Wikimedia Commons)

Chhatrapati Sambhaji Maharaj Rajyabhishek 2025: इतिहास के पन्नों में छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज के नाम कई महान उपलब्धियां दर्ज हैं. 16 जनवरी 1681 को संभाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था. ‘स्वराज्य’ के सपने को पूरा करने के लिए शिवाजी की मृत्यु के 9 माह के बाद संभाजी राजे छत्रपति की गद्दी पर बैठे थे. मराठा शासकों में छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य और बहादुरी की डंका न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में आज भी बजता है, उसी तरह छत्रपति शिवाजी महाराज के सुपुत्र छत्रपति संभाजी महाराज को भी वही गौरव और वही शौर्य प्राप्त हुआ था. यह भी पढ़ें: Maharana Pratap Punyatithi 2025: राणा प्रताप अपने चेतक पर हाथी का चेहरा क्यों लगाते थे, जानें उनके बारे में ऐसे रोचक तथ्य!

छत्रपति संभाजी महाराज का पूरा जीवन देश और हिंदू धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित था. बचपन से ही वह अपने पिता शिवाजी महाराज के साथ युद्ध स्थल पर उतरकर दुश्मनों को ललकारते हुए युद्ध करते. उन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए युद्ध कला में महारत हासिल की. आइये जानते हैं संभाजी महाराज के राज्याभिषेक का महत्व एवं इतिहास आदि के बारे में..

छत्रपति संभाजी राजे का राज्याभिषेक

संभाजी महाराज में एक अच्छा और सफल शासक बनने के सभी कूटनीति गुण मौजूद थे. उनकी बहादुरी और साहस के अनुरूप उन्हें 'दक्कन का शेर' की उपाधि मिली थी. इतिहास के पन्नों में छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर कई महान उपलब्धियां दर्ज हैं. बता दें कि 16 जनवरी 1681 को संभाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था. स्वराज्य के सपने को पूरा करने के लिए शिवाजी की मृत्यु के 9 माह के बाद संभाजी राजे छत्रपति की सिंहासन पर बैठे थे. संभाजी महाराज का राज्याभिषेक रायगढ़ में हुआ.

छत्रपति संभाजी राजे के राज्याभिषेक का महत्व

साल 1681 की 16 जनवरी के दिन छत्रपति संभाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ और उन्हें मराठा साम्राज्य की गद्दी सौंपी गई. यह दिन मराठा साम्राज्य के लिए बड़े गौरव का दिन है. इसलिए छत्रपति संभाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस को ‘शौर्य और पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद, संकट के समय में संभाजी राजे ने मराठा साम्राज्य को न केवल संभाला, संवारा बल्कि इसका विस्तार भी किया.

छत्रपति संभाजी महाराज 18 साल की छोटी उम्र में युवराज बन गये और 23 साल की उम्र में छत्रपति का ताज प्राप्त हुआ था. छत्रपति संभाजी महाराज ने 1681 से 1689 तक मराठा सम्राट के रूप में शासन किया, उनका जन्म 14 मई 1657 को और मृत्यु 11 मार्च 1689 को तुलजा पुर में हुई.