केवल गाउन के आधार पर किसी के साथ बेहतर व्यवहार नहीं किया जाता: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 7 फरवरी : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि केवल गाउन के आधार पर किसी के साथ बेहतर व्यवहार नहीं किया जाता और उसने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 70 वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने पिछले साल नवंबर में उच्च न्यायालय द्वारा वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा दिए जाने को चुनौती दी थी.

पीठ ने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि इस अदालत में किसी के साथ सिर्फ इसलिए बेहतर सलूक होता है, क्योंकि उसके पास अलग गाउन है.’’ नेदुम्परा ने बताया कि किस तरह वकीलों को अपने मामलों, जिनमें जमानत आवेदन भी शामिल हैं, को बंबई उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध करवाने के लिए कतार में लगना पड़ता है. उन्होंने एक ऐसे मामले का जिक्र किया, जिसमें बंबई उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने जमानत के मामले को करीब छह हफ्ते बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था. यह भी पढ़ें : बंगाल के नदिया में पटाखा फैक्टरी में विस्फोट, चार लोगों की मौत, एक घायल

न्यायमूर्ति गवई ने पूछा कि क्या उन्हें पता है कि संबंधित न्यायाधीश मामलों की सुनवाई के लिए शाम सात बजे तक अदालत में बैठे रहे. उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीश भी इंसान हैं... वे अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश कर रहे हैं.’’ जब नेदुम्परा ने कहा कि त्वरित न्याय के लिए और न्यायाधीश की नियुक्ति की जरूरत है, तो पीठ ने कहा, ‘‘और न्यायाधीशों की नियुक्ति करना हमारे हाथ में नहीं है.’’