नयी दिल्ली, 31 दिसंबर : कोविड महामारी के दो साल के सबसे बुरे दौर के बाद 2022 में कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के कारण संक्रमण की एक नयी लहर देखी गई लेकिन यह ज्यादा घातक साबित नहीं हुई. धीरे-धीरे भारत समेत दुनिया भर में हालात सामान्य होते दिखे मगर साल के अंत में वैश्विक स्तर पर मामलों में वृद्धि से चिंताएं पैदा हुईं. कोरोना वायरस महामारी की चुनौतियों के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय को जून, जुलाई और अगस्त में मंकीपॉक्स के मामलों के कारण हालात से निपटने के लिए तैयार होना पड़ा. गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत का कथित जुड़ाव भारत में निर्मित कफ सिरप से बताए जाने से भी चिंताएं पैदा हुईं. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने नोएडा के मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स से कथित तौर पर उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत के संबंध में जांच शुरू की. उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि डॉक-1 मैक्स का सेवन करने से बच्चों की मौत हुई है.
उज्बेकिस्तान के दावों से पूर्व गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत का संबंध हरियाणा की कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कफ सिरप से बताने वाली रिपोर्ट आई थी. हालांकि भारत के औषधि महानियंत्रक ने दावा किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने समय से पहले कफ सिरप से मौतों का विश्लेषण घोषित कर दिया. कोविड के मामले तुलनात्मक रूप से कम रहने के कारण, मंत्रालय इस वर्ष अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं और प्रतिबद्धताओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाया. हालांकि जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, फ्रांस और चीन में साल के अंत में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी के कारण हालात की निगरानी की गई और अंतरराष्ट्रीय आगमन संबंधी दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया. इस साल मंत्रालय ने कोविड टीकाकरण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की. अब तक कोविड टीके की 220 करोड़ खुराक दी जा चुकी है, जिसके परिणामस्वरूप 97 प्रतिशत योग्य वयस्क आबादी को पहली खुराक मिली और 90 प्रतिशत आबादी ने टीके की सभी खुराक ले ली. यह भी पढ़ें :COVID-19 Update: भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 226 नए मामले सामने आए, 3 मरीजों की मौतें हुई
भारत ने तीन जनवरी से 15-18 वर्ष के किशारों के लिए टीकाकरण की शुरुआत की. वहीं, 10 जनवरी से 60 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों, स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम मोर्चे के कर्मियों के लिए एहतियाती खुराक की शुरुआत की गई. देश में 12-14 साल के बच्चों के लिए 16 मार्च से टीकाकरण आरंभ हुआ. सरकार ने 10 अप्रैल को 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को कोविड-19 टीकों की एहतियाती खुराक देना शुरू किया. हालांकि, अब तक केवल 27 प्रतिशत योग्य आबादी ने एहतियाती खुराक ली है जो कोविड मामलों के फिर से बढ़ने की आशंका के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए चिंता का विषय है. कोविड टीका के संदर्भ में, भारत बायोटेक के नाक के जरिए दिए जाने वाले टीके को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 18 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों के लिए बूस्टर खुराक के रूप में मंजूरी देना उल्लेखनीय है. वर्ष का एक अन्य प्रमुख आकर्षण 2030 के एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) लक्ष्य से पांच साल पहले तपेदिक (टीबी) रोग को खत्म करने के उद्देश्य से सितंबर में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का आगाज था. इस अभियान के जरिए टीबी के मरीजों को सामुदायिक सहायता कार्यक्रम के जरिए मदद देने का लक्ष्य है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बड़ा रक्तदान अमृत महोत्सव भी आयोजित किया, जिसके तहत 2.5 लाख से अधिक लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया. सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयासों के तहत, मंत्रालय ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) को संशोधित किया. इस सूची में कई कैंसर रोधी दवाएं, एंटीबायोटिक्स और टीके समेत 34 नयी दवा को शामिल करने से कुल दवाओं की संख्या 384 हो गई है. सरकार की प्रमुख बीमा योजना आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की सितंबर 2018 में शुरुआत के बाद से 25 नवंबर तक 47,000 करोड़ रुपये से अधिक के मुफ्त इलाज का लाभ लोगों को मिला. इस योजना के जरिए गरीबों, कमजोर तबके के लोगों समेत 4 करोड़ लोगों को फायदा हुआ.