बस चंद घंटों में चाँद से एक रॉकेट का रहस्यमय हिस्सा टकराने वाला है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह टक्कर 4 मार्च को भारतीय समय के अनुसार शाम करीब छह बजे (12:25 pm GMT) होगी. इसे ‘अंतरिक्ष कचरा’ या ‘अंतरिक्ष कबाड़’ कहा जा रहा है, जिसका वजह तीन टन है. यह चंद्रमा की सतह से 9,300 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराएगा. यह टक्कर इतनी भीषण होगी कि इससे एक इतना बड़ा गड्ढा बन जाएगा जिसमें ट्रैक्टर ट्रेलर जैसे कई वाहन समा सकते हैं. इसरो के 2022 के पहले प्रक्षेपण अभियान के लिए उलटी गिनती शुरू
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कचरा एक रॉकेट का अवशेष है जो बड़ी ही तेज रफ्तार से चंद्रमा के उस सूदूर स्थान से टकराएगा जहां दूरबीन की नजर नहीं पहुंचती. हालांकि उपग्रह तस्वीरों की मदद से टक्कर से होने वाले प्रभाव की पुष्टि करने में कई सप्ताह या कई महीने का समय लग सकता है.
विशेषज्ञों ने कहा है कि यह रॉकेट चीन का है जिसे करीब एक दशक पहले अंतरिक्ष में भेजा गया था और तब से यह इधर-उधर घूम रहा है. हालांकि चीन के अधिकारियों ने इस रॉकेट के बीजिंग का होने पर संदेह जताया है. हालांकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह रॉकेट किस देश का है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी भीषण टक्कर से चंद्रमा की सतह पर 33 से 66 फुट (10 से 20 मीटर) तक का गड्ढा बन जाएगा और चंद्र सतह की धूल सैकड़ों किलोमीटर तक फैल जाएगी.
अंतरिक्ष में निचली कक्षा में तैर रहे कचरे पर नजर रखना आसान होता है तथा सुदूर अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली वस्तुओं के किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना कम ही होती है और उन्हें प्राय: शीघ्र ही विस्मृत भी दिया जाता है. हालांकि खगोलीय घटनाओं का आनंद उठाने वाले कुछ अंतरिक्ष पर्यवेक्षक इन पर अवश्य दृष्टि रखते हैं. इसी तरह के एक पर्यवेक्षक बिल ग्रे ने जनवरी में इस रॉकेट कचरे की चंद्रमा से टक्कर होने संबंधी घटना का अनुमान लगाया था. ग्रे एक गणितज्ञ और एक भौतिकशास्त्री हैं. ग्रे ने शुरू में इस रॉकेट के स्पेसएक्स का होने का संदेह व्यक्त किया था जिसके बाद कंपनी को आलोचना का सामना करना पड़ा लेकिन एक महीने बाद ग्रे ने अपने संदेह में सुधार करते हुए कहा कि यह 2015 में भेजा गया स्पेसएक्स कंपनी का रॉकेट नहीं है. पहले कहा गया था कि स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट का ऊपरी हिस्सा है जो ‘डीप स्पेस क्लाइमेट ऑब्जर्वेटरी’ उपग्रह को पृथ्वी से ले गया था. तब से यह बेतरतीब तरीके से पृथ्वी और चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है.
उन्होंने कहा कि संभव है कि यह चीन का रॉकेट है जिसने 2014 में चांद पर एक परीक्षण सैंपल कैप्सूल भेजा था. कैप्सूल वापस आ गया था लेकिन रॉकेट अंतरिक्ष में ही भटकता ही रहा. चीन सरकार के अधिकारियों ने कहा कि बीजिंग का रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में वापस आने पर जल गया था. हालांकि समान नाम वाले दो चीनी अभियान थे जिनमें एक थी यह परीक्षण उड़ान और दूसरा 2020 में चंद्र सतह से पत्थरों के नमूने लाने का अभियान. अमेरिकी पर्यवेक्षकों का चीन के विपरीत भिन्न मत है. पृथ्वी के पास अंतरिक्ष कचरे पर दृष्टि रखने वाली अमेरिकी अंतरिक्ष कमान ने मंगलवार को कहा कि 2014 के अभियान से जुड़ा चीनी रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में कभी वापस नहीं आया.
वहीं, कुछ खगोलविदों का कहना है कि टक्कर "कोई बड़ी बात नहीं" है, लेकिन मेरे जैसे अंतरिक्ष पुरातत्वविद् के लिए यह काफी रोमांचक है. इसके चंद्रमा की सतह से टकराने से चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से में एक नया गड्ढा बन जाएगा. चंद्रमा के साथ संपर्क करने वाली पहली मानव निर्मित चीज 1959 में सोवियत लूना 2 थी. वह एक असाधारण उपलब्धि थी क्योंकि ऐसा पहले कृत्रिम पृथ्वी उपग्रह स्पुतनिक 1 के प्रक्षेपण के दो साल बाद ही हुआ था.
मिशन में एक रॉकेट, एक प्रोब और तीन "बम" शामिल थे। एक बम ने सोडियम गैस का एक बादल छोड़ा था ताकि टक्कर को पृथ्वी से देखा जा सके. तत्कालीन सोवियत संघ नहीं चाहता था कि अभूतपूर्व मिशन को एक ‘अफवाह’ कहा जाए. 2009 में जापानी रिले उपग्रह ओकिना की तरह विभिन्न अंतरिक्ष यान पूर्व में कक्षा से बाहर निकल गए हैं. अन्य को उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद जानबूझकर दुर्घटनाग्रस्त किया गया. इसके अलावा नासा के एबब और फ्लो अंतरिक्ष यानको 2012 में जानबूझकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से टकराया गया था.