कनाडा सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है जिसमें उसने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को कनाडा में हुई गंभीर आपराधिक गतिविधियों से जोड़ने का कोई प्रमाण नहीं है. कनाडा सरकार का कहना है कि उन्हें इस मामले में कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं, जो इन भारतीय अधिकारियों को किसी भी अपराधी गतिविधि से जोड़ सके.
निज्जर की हत्या से पीएम मोदी को जोड़ने वाली ग्लोब एंड मेल की खबर के बाद कनाडा सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है.
कनाडा ने उठाया था एक बड़ा कदम
14 अक्टूबर को कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) और अन्य अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से कनाडा में हो रही गंभीर आपराधिक गतिविधियों के बारे में जानकारी दी थी, और इसमें यह आरोप भी लगाया था कि इन अपराधों के पीछे भारतीय सरकार के एजेंट हो सकते हैं. इसने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था, और कनाडा की सरकार को यह स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत पड़ी.
भारत के अधिकारियों पर कोई आरोप नहीं
कनाडा सरकार ने साफ तौर पर यह कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या NSA डोभाल का इन अपराधों से कोई संबंध नहीं है. उनका कहना था कि इस संबंध में जो भी दावे किए जा रहे हैं, वे केवल कयास और गलतफहमी पर आधारित हैं. "कनाडा सरकार ने ना तो कभी इन नेताओं को अपराध से जोड़ा है और ना ही किसी प्रकार का कोई प्रमाण इस संबंध में उसके पास है," कनाडा सरकार ने अपने बयान में स्पष्ट किया.
Big Breaking: Government of Canada has "not stated, nor is it aware of evidence, linking Prime Minister Modi, Minister Jaishankar, or NSA Doval to the serious criminal activity within Canada"
Statement by Canada Govt pic.twitter.com/avWVoj0SRs
— Sidhant Sibal (@sidhant) November 22, 2024
निराधार आरोपों पर चिंताएं
कनाडा सरकार ने इस मामले में मीडिया और अन्य स्रोतों से अनुरोध किया कि वे किसी भी बिना साक्ष्य के आरोपों को बढ़ावा न दें. सरकार का कहना था कि इस तरह के निराधार आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और दोनों देशों के बीच विश्वास को भी चोट पहुंचा सकते हैं.
कनाडा सरकार का यह बयान दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति को और स्पष्ट करता है. हालांकि, कनाडा ने यह भी माना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन अब इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नेताओं का इस आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है. अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इस स्थिति के बाद किस दिशा में आगे बढ़ते हैं.