विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि भारत कभी भी अपनी स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता को दूसरों के वीटो के अधीन नहीं करेगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो कुछ भी सही होगा, वह बिना किसी दबाव के करेगा. जयशंकर मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो संदेश के माध्यम से बोल रहे थे. इस अवसर पर उन्हें 27वें एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
विदेश मंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया अस्वस्थ आदतों, तनावपूर्ण जीवनशैली और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से जूझ रही है. ऐसे में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में प्रौद्योगिकी और परंपरा को एक साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है.
"स्वतंत्रता का मतलब तटस्थता नहीं"
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, "स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए. हम अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए सही कदम उठाने से नहीं डरेंगे. भारत कभी भी दूसरों को अपनी पसंद पर वीटो करने की अनुमति नहीं देगा."
सांस्कृतिक ताकत और युवा पीढ़ी की भूमिका
उन्होंने भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक ताकत की चर्चा करते हुए कहा कि इसका सही उपयोग करके ही भारत वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी धरोहर की महत्ता समझनी चाहिए. जयशंकर ने यह भी कहा कि विकास के लिए भारत के पास कई रास्ते हैं, लेकिन कुछ चुनौतियों को हल करना भी उतना ही जरूरी है.
वैश्विक समस्याओं का समाधान हो सकता है भारत
जयशंकर ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन ज्ञान आधुनिक समय की चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारतीयों को अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए और इसे दुनिया के सामने प्रस्तुत करना चाहिए.
विदेश मंत्री का यह बयान भारत की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक पहचान और वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत न केवल अपने हितों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के भले के लिए सही कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है.