केरल के बहुचर्चित सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मनाये जाने वाले विशेष पूजा-अनुष्ठानों में एक है मंडला पूजा. यह पर्व भगवान अयप्पा के भक्तों द्वारा की गई 41 दिनों की गहन तपस्या और भक्ति का प्रतीक है. इस आध्यात्मिक पर्व में लाखों श्रद्धालु अनुष्ठान में भाग लेने हेतु आते हैं. मलयालम कैलेंडर के अनुसार धनु मास के दौरान ग्यारहवें या बारहवें दिन (26 दिसंबर, 2024) को मंडला पूजा का आयोजन किया जाएगा. आइये जानते हैं, मंडला पूजा के महत्व, मंत्र एवं विधि आदि के बारे में...
41 दिवसीय मंडला पूजा के नियम
41 दिनों तक चलने वाले मंडला पूजा का महोत्सव वृश्चिकम् मास के पहले दिन से शुरू होती है. इस अवधि में अयप्पा भक्त कठिन व्रत रखते हैं और पूजा के कड़े नियमों का पालन करते हैं.
मांसाहार से परहेजः इस 41 दिनों के आध्यात्मिक पर्व के दरमियान भक्त मांसाहार से परहेज रखते हैं. केवल शाकाहार भोजन का सेवन करते हैं.
ब्रह्मचर्य और पवित्रताः पर्यवेक्षक सांसारिक सुखों से दूर रहकर आध्यात्मिक प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
ड्रेस कोड: इस पूजा में शामिल होने वाले भक्त अपनी विनम्रता और भक्ति को दर्शाने के लिए काले, नीले या केसरिया रंग के परिधान पहनते हैं.
मंदिरों के दर्शन: इस अवधि में दैनिक प्रार्थना, मंदिर में पूजा, भगवान अयप्पा के नाम का जाप (स्वामी शरणम् अयप्पा) आवश्यक हो जाता है.
मंडला पूजा अनुष्ठान
इस दिन संपूर्ण मंदिर को बड़ी खूबसूरती से सजाया जाता है. शुभ मुहूर्त पर सबरीमाला अयप्पा मंदिर में विधिवत एवं पारंपरिक पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं. मंदिर को खूबसूरती से सजाया गया है. संपूर्ण मंदिर दिव्य मंत्रों, प्रार्थनाओं तथा शंख-घड़ियाल की आवाज से गुंजायमान होता है. सम्पूर्ण मंदिर में हजारों दीप प्रज्वलित करते हैं. भगवान अयप्पा को पुष्प, रोली एवं नारियल अर्पित करते हैं. शुद्ध घी के दीपक और कपूर प्रज्वलित करते हैं. निम्न मंत्र का जाप करते हैं.
‘स्वामी शरणम अयप्पा’
प्रसाद में नारियल, घी से बने. इरुमुदी केट्टू चढ़ाते हैं. अंत में भक्तों को प्रसाद वितरित करते हैं.
मंडला पूजा का महत्व
हरे-भरे जंगलों और पहाड़ियों से घिरा सबरीमाला अयप्पा मंदिर, अटूट आस्था, एकता और श्रद्धा का केंद्र है, जो मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत करता है. भक्तों के लिए मंडला पूजा का गहरा आध्यात्मिक महत्व है. 41 दिनों की इस पूजा एवं व्रत से जीवन में आत्म-नियंत्रण, विनम्रता एवं आध्यात्मिक विकास पैदा होता है. तन-मन शुद्ध रहता है. मंडला पूजा को आस्था एवं समर्पण के साथ-साथ भक्तों को शांति, समृद्धि और दैवीय कृपा प्राप्त होती है.