जयपुर अग्निकांड: आग में जलते शख्स ने 600 मीटर तक चलकर मांगी मदद, लेकिन लोग बनाते रहे सिर्फ वीडियो

जयपुर: अगर दर्द और त्रासदी का कोई चेहरा होता, तो 32 वर्षीय राधेश्याम चौधरी का झुलसा हुआ शरीर और जलते हुए हाथ उसे सही मायने में चित्रित करता, जो शुक्रवार सुबह जयपुर-अजमेर हाईवे पर गैस टैंकर के विस्फोट के बाद हुआ. राधेश्याम, जो जयपुर की नेशनल बियरिंग कंपनी लिमिटेड में मोटर मैकेनिक थे, अपने घर से रोज़ की तरह मोटरसाइकिल पर निकले थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनकी यात्रा में एक बड़ी आपदा उनका इंतजार कर रही थी.

गैस टैंकर के विस्फोट के बाद राधेश्याम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वह जलते हुए, 600 मीटर दूर तक मदद की गुहार लगाते हुए दिखे. इस दौरान राधेश्याम के शरीर से आग की लपटें निकल रही थीं और वह मुश्किल से अपने कदमों पर खड़ा हो पा रहे थे. हालांकि, उनकी मदद करने के बजाय, कई लोग केवल वीडियो रिकॉर्ड कर रहे थे.

राधेश्याम के बड़े भाई अखेराम ने बताया, "सुबह 5:50 बजे एक अजनबी ने फोन करके मुझे बताया, 'हीरापुरा बस स्टैंड आ जाइए, आपके भाई को परेशानी हो गई है.'" आधी नींद में बेकाबू होकर, अखेराम और उनके पड़ोसी घटना स्थल पर पहुंचे, जहां उन्होंने देखा कि राधेश्याम सड़क पर पड़े हुए थे.

अखेराम के मुताबिक, "लोगों ने बताया कि वह लगभग 600 मीटर तक चलकर मदद की गुहार लगाते हुए आए थे. लेकिन मदद करने के बजाय, लोग केवल वीडियो बना रहे थे." अखेराम ने कहा कि ट्रैफिक जाम के कारण एंबुलेंस का आना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने अपने भाई को अपनी कार में अस्पताल पहुंचाया.

राधेश्याम ने अस्पताल जाने के दौरान अपनी पूरी घटना को बयां किया. उन्होंने बताया कि कैसे विस्फोट से पहले ज़मीन हिली और अचानक लपटों ने सबकुछ घेर लिया. उन्होंने अपनी बाइक से कूदकर भागने की कोशिश की, लेकिन आग ने उन्हें पकड़ लिया. इसके बावजूद, वह जलते हुए भी भागते और चलते रहे, जब तक उन्हें किसी ने फोन कर अपने भाई का नंबर नहीं दिया.

राधेश्याम को SMS अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन 85% जलने के कारण उनका जीवन बचाने का कोई चांस नहीं था. अखेराम ने कहा, "हमने सोचा था कि वह बच जाएंगे, लेकिन उनके शरीर की हालत ने हमारी उम्मीदों को तोड़ दिया." यह हादसा न सिर्फ राधेश्याम के परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक कड़वा सबक छोड़ गया है कि जब किसी को मदद की जरूरत हो, तो वीडियो बनाने की बजाय हाथ बढ़ाना ज्यादा जरूरी होता है.