आचार्य चाणक्य को ही कौटिल्य, विष्णुगुप्त और वात्सायन के नाम से जाना जाता है. उनके जीवन में तमाम संघर्ष और चुनौतियां थीं. इन चुनौतियों एवं संघर्ष भरे रास्ते चलते हुए उन्होंने अपनी पहचान एक कुशल कूटनीतिज्ञ के रूप में बनाई. अपनी कूटनीति के सहारे ही चाणक्य ने नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाने में मदद की थी. चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को रणनीति और युद्ध में मार्ग-दर्शन दिया था. उन्होंने सामाजिक जीवन के हर पहलुओं को अपनी नीतियों के माध्यम से ‘चाणक्य नीति’ की रचना की. संस्कृत में लिखी इस नीति के एक अध्याय में उन्होंने स्त्री-पुरुष को बताना चाहा है कि किन 6 बातों को ध्यान में रखने से विवाद और धन हानि से बचा जा सकता है. आइये जानते हैं, क्या हैं वे छह बातें, जानते हैं इस श्लोक के माध्यम से...
‘काष्ठं कल्पतरुः सुमेरुरचलश्चिन्तामणिः प्रस्तरः सूर्यस्तीव्रकरः शशिः क्षयकरः क्षारोहि निरवारिधिः।
कामो नष्टतनुर्बलिर्दितिसुतो नित्य पशुः कामगोः नैतास्ते तुलयामि भो रघुपते कस्योपमा दीयते।।‘
अर्थात, कल्प तरु तो एक लकड़ी है. सुवर्ण का सुमेर पर्वत निश्छल है. चिंतामणि एक पत्थर है. सूर्य में ताप है. चन्द्रमा घटता बढ़ता रहता है. अमर्याद समुद्र खारा है. कामदेव का शरीर जल गया. महाराज बलि तो राक्षस कुल में पैदा हुए. कामधेनु तो पशु ही है. भगवान् राम के समान कौन है.
आचार्य का आशय यह है कि हे प्रभु राम, लोग आपको कल्पवृक्ष तथा कामदेव के समान सबकी इच्छा पूरा करने वाला कहते हैं. आप सबकी इच्छाएं पूरी करते हैं, यह बात सत्य है, किन्तु कल्पवृक्ष लकड़ी है तथा कामधेनु पशु है. आपको सोने के पहाड़ सुमेरु के समान कहा जाता है. यह सही है कि आपकी सम्पत्ति का कोई पार नहीं है, किन्तु सुमेरु है तो एक पहाड़ ही. आपको चिन्तामणि (पारस पत्थर) के समान कहा जाता है. पारस लोहे को सोना बना देता है. आपके पास आने वाला भी हर अच्छा-बुरा व्यक्ति गुणवान हो जाता है, हांलाकि पारस है तो एक पत्थर ही. आपको सूर्य के समान तेजवाला कहा जाता है. किन्तु सूर्य की तेज किरणें दुःखी भी करती हैं, जबकि आपको देखकर सब सुखी होते हैं. आपको चन्द्रमा के समान सुख देने वाला कहा जाता है, किन्तु चन्द्रमा की किरणें घटती-बढ़ती रहती हैं, आप सदा समान रहते हैं. आपको समुद्र के समान गम्भीर माना जाता है, किन्तु कहां समुद्र और कहां आप! समुद्र का पानी खारा होता है. आपको कामदेव के समान सुन्दर कहना भी ठीक – नहीं, कामदेव का तो शरीर ही नहीं है, अतः वह सुन्दर कैसे हुआ? आपको बलि के समान दानी कहा जाता है. आप सबसे बड़े दानी हैं, यह सच है, और बलि भी महान दानी था, किन्तु बलि दैत्य था. आप साक्षात् भगवान है. इसलिए इनके साथ आपकी तुलना नहीं की जा सकती. आपकी उपमा किससे की जाए.