GSAT-20 Satellite Launch: स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के जीसैट-20 कम्युनिकेशन सैटेलाइट के साथ उड़ान भरी. लगभग 4,700 किलोग्राम वजन का यह भारतीय सैटेलाइट देश की संचार प्रणाली को मजबूत करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह हाई-थ्रूपुट कम्युनिकेशन पेलोड के साथ आता है और इसकी मिशन अवधि 14 वर्षों की है. जीसैट-20 सैटेलाइट के चालू होने के बाद, यह देशभर में इंटरनेट कनेक्टिविटी, खासकर दूरदराज के इलाकों और हवाई उड़ानों के दौरान इंटरनेट सेवाएं प्रदान करेगा.
यह सैटेलाइट 32 यूजर बीम्स से लैस है, जिसमें 8 नैरो स्पॉट बीम्स और 24 वाइड स्पॉट बीम्स शामिल हैं. भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हब स्टेशनों के जरिए इन बीम्स को सपोर्ट किया जाएगा.
स्पेसएक्स के रॉकेट से इसरो ने लॉन्च किया 4,700 Kg का कम्युनिकेशन सैटेलाइट
Liftoff of GSAT-N2! pic.twitter.com/4JqOrQINzE
— SpaceX (@SpaceX) November 18, 2024
इसरो और स्पेसएक्स का पहला सहयोग
यह लॉन्च इसरो और स्पेसएक्स के बीच पहली व्यावसायिक साझेदारी का प्रतीक है. इससे पहले इसरो ने भारी सैटेलाइट्स के लिए यूरोपीय एरियनस्पेस पर निर्भरता दिखाई थी. लेकिन मौजूदा समय में एरियनस्पेस के पास ऑपरेशनल रॉकेट नहीं हैं और रूस-चीन जैसे देशों से भू-राजनीतिक कारणों के चलते सहयोग सीमित हो गया है. ऐसे में स्पेसएक्स सबसे उपयुक्त विकल्प बनकर उभरा.
भारतीय रॉकेट क्यों नहीं हुआ इस्तेमाल?
इसरो का सबसे भारी लॉन्च व्हीकल, एलवीएम-3, 4000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में ले जा सकता है. हालांकि, जीसैट-20 का वजन इससे अधिक होने के कारण इसरो को इसे लॉन्च करने के लिए बाहरी मदद लेनी पड़ी
भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय
यह लॉन्च न केवल इसरो और स्पेसएक्स के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष तकनीक और वैश्विक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक अहम कदम है. जीसैट-20 से देश की डिजिटल कनेक्टिविटी को बड़ा फायदा होगा।