Tokyo Paralympics 2020:  भारत अबतक के सबसे बड़े दल के साथ पैरालंपिक खेलों में लेगा भाग
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits Twitter)

Tokyo Paralympics 2020: भारत के 54 एथलीट तीरंदाजी, एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड), बैडमिंटन, तैराकी, भारोत्तोलन सहित नौ खेलों में प्रतिस्पर्धा करेंगे. यह किसी भी पैरालंपिक खेल में भारत द्वारा भेजी गई अब तक का सबसे बड़ा दल है. टोक्यो ओलंपिक खेलों में भी भारत ने इस बार अपना सबसे बड़ा दल भेजा था. यह दिखाता है कि भारत खेलों के क्षेत्र में अब धीरे-धीरे अपना आधिपत्य स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. आपको बता दें, ये सभी 54 एथलीट टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) योजना का हिस्सा रहे हैं.

1968 में भारत ने लिया था पहली बार पैरालंपिक में भाग:

भारत ने तेल अवीव में आयोजित 1968 के खेलों में अपना ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक पदार्पण किया था, 1972 में भारत ने फिर से पैराओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। उसके बाद फिर 1984 तक भारत इन खेलों में अनुपस्थित रहा. देश ने तब से ग्रीष्मकालीन पैराओलंपिक खेलों के हर संस्करण में भाग लिया है। आपको बता दें, भारत ने शीतकालीन पैरालंपिक खेलों में कभी भाग नहीं लिया है. यह भी पढ़े: Tokyo Paralympic 2020: सचिन तेंदुलकर ने पैरालंपिक खेलों के लिये समर्थन मांगा, खिलाड़ियों को वास्तविक नायक बताया

1972 में हीडलबर्ग खेलों में, मुरलीकांत पेटकर ने भारत को अपना पहला स्वर्ण दिलाने के लिए 37.331 सेकंड लेकर विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में जीता। उन खेलों में, भारत भाग लेने वाले 42 देशों में से 24वें स्थान पर रहा। 1984 में, जोगिंदर सिंह बेदी ने पुरुषों के शॉट पुट में रजत जीता और इसके बाद डिस्कस और भाला फेंक में भारत ने कांस्य पदक जीता। एक अन्य भारतीय भीमराव केसरकर ने भाला में रजत पदक जीता। इन खेलों में भारत भाग लेने वाले 54 देशों में से 37वें स्थान पर रहा.

भारत का सबसे बड़ा स्टार देवेंद्र झाझरिया:

1984 की सफलता के बाद भारत को अगला पदक पाने के लिए 20 साल का इंतजार करना पड़ा. इस अंतराल को देवेंद्र झाझरिया ने तोड़ा, जिन्होंने एथेंस पैरालिंपिक 2004 में पुरुषों की भाला फेंक F44/46 में स्वर्ण पदक जीता था.2012 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. एथेंस में 2004 की सफलता के बाद, देवेंद्र ने रियो पैरालिंपिक 2016 में स्वर्ण के साथ फिर से चमक बिखेरी. इस बार, उन्होंने पोडियम पर सर्वोच्च स्थान हासिल करने के लिए 63.97 मीटर फेंका. 2017 में उन्हें सर्वोच्च खेल सम्मान, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

भारत की तरफ से राजिंदर सिंह रहेलू, गिरीश एन गौड़ा, मरियप्पा थंगावेलु, वरुण सिंह भाटी ने भी पदक जीते हैं.

दीपा मलिक

पैरालंपिक में जीतने वाली पहली महिला बनने वाली दीपा मलिक ने 2016 के रियो खेलों में शॉट पुट F53 में 4.61 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता. दीपा मलिक वर्तमान में भारत की पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष हैं.

भारत ने कुल 12 मेडल जीते हैं:

कुल मिलाकर, भारत ने 11 पैरालंपिक खेलों में 12 पदक जीते हैं। भारत ने चार स्वर्ण और इतने ही रजत और कांस्य पदक जीते हैं. दीपा मलिक पैरालंपिक पदक जीतने वाली एकमात्र महिला एथलीट हैं.

इस बार भारत की उम्मीदें:

उद्घाटन समारोह में भारत के ध्वजवाहक और दल के नेता मरियप्पन थंगावेलु होंगे. मरियप्पन थंगावेलु एक हाई जम्पर हैं और उन्होंने 2016 में रियो में स्वर्ण पदक जीता था। उनके साथ अनुभवी देवेंद्र झाझरिया अपनी हैट्रिक पूरी करने की कोशिश करेंगे, जबकि बैडमिंटन स्टार प्रमोद भगत खेलों में पदार्पण करेंगे.  बैडमिंटन स्पर्धा में सात भारतीय होंगे जबकि रिकॉर्ड 10 निशानेबाजों ने भी इस स्पर्धा के लिए क्वालीफाई किया है. भारत को इन सबसे उम्मीदें हैं.

इस बार भारतीय एथलेटिक्स टीम में चार महिलाओं सहित 24 सदस्य हैं जबकि टोक्यो में पांच तीरंदाज प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। टोक्यो में भारत 27 अगस्त को पुरुष और महिला तीरंदाजी स्पर्धाओं के साथ अपने अभियान की शुरुआत करेगा.