एक लिव-इन जोड़े ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुरक्षा अपील दायर की, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि दोनों ने पहले से ही अन्य लोगों से शादी कर ली थी और उनके संबंधित विवाह से तलाक का कोई दस्तावेज नहीं था. जस्टिस रेनू अग्रवाल की बेंच ने कहा कि अदालत इन अवैध साझेदारियों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती और चेतावनी दी कि ऐसा करने से सामाजिक व्यवस्था ख़राब हो जाएगी. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, किसी व्यक्ति को अपने पति या पत्नी के जीवित रहने या तलाक का फैसला मिलने से पहले किसी और से शादी करने से प्रतिबंधित किया गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि "इस तरह के रिश्ते से समाज में अराजकता पैदा होगी और अगर इसे अदालत का समर्थन मिलता है तो देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट हो जाएगा." Read Also: बहू सास-ससुर से भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती; कर्नाटक हाई कोर्ट की टिप्पणी.
The Allahabad High Court has recently held that as per the Hindu Law, a person having a spouse alive cannot live in an illicit and live-in relationship in contravention of the provisions of the law.
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— Live Law (@LiveLawIndia) March 14, 2024
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