एक लिव-इन जोड़े ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुरक्षा अपील दायर की, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि दोनों ने पहले से ही अन्य लोगों से शादी कर ली थी और उनके संबंधित विवाह से तलाक का कोई दस्तावेज नहीं था. जस्टिस रेनू अग्रवाल की बेंच ने कहा कि अदालत इन अवैध साझेदारियों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती और चेतावनी दी कि ऐसा करने से सामाजिक व्यवस्था ख़राब हो जाएगी. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, किसी व्यक्ति को अपने पति या पत्नी के जीवित रहने या तलाक का फैसला मिलने से पहले किसी और से शादी करने से प्रतिबंधित किया गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि "इस तरह के रिश्ते से समाज में अराजकता पैदा होगी और अगर इसे अदालत का समर्थन मिलता है तो देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट हो जाएगा." Read Also: बहू सास-ससुर से भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती; कर्नाटक हाई कोर्ट की टिप्पणी.

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)