COVID-19 Vaccine to be Made From Sharks: दुर्लभ प्रजाति की 5 लाख शार्क से कोविड-19 वैक्सीन बनाने के निर्णय पर सोशल मीडिया पर भड़के लोग, Change.org पर याचिका दायर
दुर्लभ प्रजाति की 5 लाख शार्क से बन सकती है कोविड वैक्सीन, (फोटो क्रेडिट्स: ट्विटर)

COVID-19 वैक्सीन बनाने के लिए पांच लाख शार्क के मारे जाने की संभावना है. शार्क को अक्सर स्क्वालेन (squalene) नामक प्राकृतिक तेल के लिए काटा जाता है, जिसे वर्तमान में चिकित्सा में हेल्प के रूप में उपयोग किया जाता है. यह एक घटक है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर वैक्सीन की प्रभावशीलता को बढ़ाता है. एक टन स्क्वालेन निकालने के लिए लगभग 3,000 शार्क की आवश्यकता होती है. हालांकि, इतनी बड़ी मात्रा में शार्क को मारने के फैसले ने समुद्री जीव के कल्याण पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इस खबर के बाद से एनीमल लवर्स और पर्यावरण विद्वानों ने इसकी आलोचना की है. लोग ट्विटर पर शार्क की दुर्लभ प्रजातियों की हत्या पर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं. जिसमें कुछ यह भी पूछ रहे हैं कि क्या इसके लिए कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है? यह भी पढ़ें: रामेश्वरम: अतरनकारई में मिला 35 वर्षीय व्हेल शार्क का शव, चट्टानों से टकराकर मरने की खबर

कैलिफ़ोर्निया के एक ग्रुप शार्क अलाइस (Shark Allies) ने कहा है कि दुनिया में सभी को COVID-19 वैक्सीन युक्त स्क्वैलेन की खुराक के लिए लगभग 250,000 शार्क की आवश्यकता होगी. यह आवश्यक मात्रा पर निर्भर करेगा, अगर दो डोसेज की जरुरत पड़ेगी तो इसकी मात्रा आधा मिलियन हो जाएगी. इस दौरान वैक्सीन के लिए शार्क का उपयोग करने के खिलाफ Change.org पर 'स्टॉप यूजिंग शार्क्स इन सीओवीआईडी -19 वैक्सीन - यूज़ एक्सिस्टिंग सस्टेनेबल ऑप्शंस' के नाम से एक याचिका दायर की गई है.

ट्विटर यूजर्स भड़के:

क्या हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है?

ये सही नहीं है:

मैनेज करने का कोई और रास्ता नहीं?

शार्क को न मारें, नहीं चाहिए वैक्सीन:

प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करें:

शार्क अलाइज के अनुसार गल्पर शार्क (gulper shark) और बेसकिंग शार्क (basking shark) की दुर्लभ प्रजातियां इसलिए टार्गेट की जा रही हैं, क्योंकि इनमें स्क्वेलीन पाया जाता है. इतनी ज्यादा मात्रा में शार्क के मारे जाने की वजह से इनकी पॉप्युलेशन कम हो सकती हैं और ये लुप्त हो सकती हैं. एक वकालत ग्रुप का कहना है कि वैक्सीन के लिए शार्क की दुर्लभ प्रजाति को मारना टिकाऊ नहीं है. इस बिच शार्क की आबादी को खतरे में न डालने के लिए वैज्ञानिक स्क्वेलीन के विकल्प का परीक्षण कर रहे हैं.