हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि सूर्य देव और छाया के पुत्र शनि देव का इसी तिथि पर जन्म हुआ था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष शनि जयंती 3 जून को पड़ रही है. यूं तो सभी ग्रहों का अपना महत्व होता है, लेकिन जहां तक शनि देव की बात है, तो अपेक्षाकृत शनि का ज्यादा महत्व है. पौराणिक ग्रंथों में शनि देव को न्याय का देवता माना गया है. यदि विधि-विधान से इनकी पूजा की जाए तो जीवन से जुड़े सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. शनिदेव की विशेष कृपा एवं शुभता प्राप्त करने के लिए शनि जयंती का दिन सर्वोत्तम माना जाता है.
शनिदेव कुपित हों तो राजा रंक बन सकता है
शनि देव के बारे में विख्यात है कि यदि सच्चे मन और विधि विधान के साथ उनकी पूजा-अनुष्ठान करने वाले सभी भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. शनि देव भक्त को सुख एवं समृद्धि से परिपूर्ण कर देते हैं. लेकिन इसके विपरीत यदि पूजा अर्चना में जरा-सी चूक हो जाए तो शनि देव नाराज भी हो सकते हैं. उनकी नाराजगी इंसान को राजा से रंक तक बना देती है. यही वजह है कि शनि भगवान की पूजा अर्चना अथवा अनुष्ठान आदि करने में विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है. बेहतर तो यही होगा कि शनि देव का विशेष अनुष्ठान किसी सिद्धहस्त पुजारी से ही करवाएं. सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य श्री रवींद्र पाण्डेय बताते हैं कि शनि जयंती पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, ताकि शनि भगवान की कृपा बनी रहे.
क्या करें
शनि जयंती के दिन शनि देव का दर्शन कर उनकी मूर्ति पर तेल जरूर चढ़ाएं.
तेल चढ़ाते समय अगर शनि भगवान का जाप कण्ठस्थ है तो वह जाप भी करें.
शनि देव की पूजा करने के पश्चात गरीबों को दान करें, इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं.
शनि देव की पूजा सही मुहूर्त पर करना विशेष फलदाई होता है. इस बार शनि देव की पूजा का शुभ समय 3 जून की सुबह 11.51 बजे दोपहर 12.47 तक है.
ये न करें
शनि जयंती के दिन न बाल कटवाएं और ना ही नाखून काटें. ऐसा करने से आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है. बनता काम बिगड़ सकता है.
शनि जयंती के दिन पूजा में उपयोग आने वाले पौधों तुलसी, दुर्वा, बेल पत्र, पीपल के पत्ते आदि नहीं तोड़ना चाहिए.
शनि देव की जयंती के दिन शारीरिक संबंध (सहवास) नहीं बनाना चाहिए.
शनि जयंती के दिन बेहतर होगा कि ब्रह्मचर्य का पालन करें, झूठ नहीं बोलें, किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं.
शनि जयंती के दिन कांच की वस्तुएं नहीं खरीदनी चाहिए.
इस दिन गरीबों को कुछ न कुछ दान अवश्य दें. उसे खाली हाथ वापस नहीं जानें दें.
अपने मन से ऐसा कुछ न करें जिसके बारे में आप नहीं जानते.
अशुद्ध रूप से श्लोक नहीं पढ़ें
अगर आप पर शनि की साढे साती है तो आप पुरोहित से सलाह मशविरा करें और वे जैसा कहें वैसा करें.
इस दिन लोहा, तिल, तेल आदि की खरीदारी नहीं करनी चाहिए.