12 जुलाई को होने वाली रथयात्रा पुरी के आसपास एक छोटे से दायरे में ही सम्पन्न की जायेगी. कोरोना के तीसरे वेव की संभावनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को उड़ीसा राज्य में होने वाले भव्यतम रथयात्रा आयोजन को छोटे दायरे में मनाने की अनुमति दी है, जिसका सभी श्रद्धालुओं ने पुरजोर स्वागत किया है. 12 जुलाई (सोमवार) को यह रथयात्रा पुरी के आसपास एक छोटे दायरे में निकाली जायेगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार जगन्नाथ रथयात्रा 2021 विशेष रूप से पुरी में होगी. COVID-19 के डेल्टा प्लस के बढ़ते प्रकोप और तीसरी लहर की संभावनाओं को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे उड़ीसा राज्य में होने वाली इस धार्मिक एवं पारंपरिक रथयात्रा महोत्सव पर रोक लगाई है.
गौरतलब है कि कोविड महामारी को देखते हुए गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा पारंपरिक सार्वजनिक परेड की अनुमति खारिज होने के बाद पिछले साल यहां जमालपुर क्षेत्र में भगवान जगन्नाथ मंदिर के परिसर में केवल प्रतीकात्मक रथयात्रा आयोजित की गयी थी. जिसका भी श्रद्धालुओं ने स्वागत किया था.
तिथि एवं समय:
हिंदी पंचांग के अनुसार यह रथ यात्रा अमूमन आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की द्वितिया के दिन शुरु की जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रथयात्रा का यह आयोजन जून अथवा जुलाई माह में मनाया जाता है.
हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार जगन्नाथ मंदिर चार सबसे प्रमुख तीर्थों में से एक होता है, जिसका धार्मिक रूप से बहुत महत्व है. इस वर्ष यह रथ यात्रा 12 जुलाई 2021 को आयोजित की जायेगी. आषाढ़ मास की द्वितिया तिथि 11 जुलाई 2021 दिन (रविवार) सायंकाल 07.47 बजे से अगले दिन 12 जुलाई दिन (सोमवार) को रात 08.19 बजे तक समाप्त होगी.
इतिहास और महत्व;
प्रत्येक वर्ष परंपरागत तरीके से आषाढ़ मास की द्वितिया के दिन भगवान श्री जगन्नाथजी, बलभद्रजी एवं सुभद्राजी को जगन्नाथ पुरी मंदिर में अविनाशी द्वारा सम्मानित किया जाता है. ज्ञात हो कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा चोड़ागन देव द्वारा करवाया गया था. मंदिर कलिंग शैली में बनाया गया है. रथ यात्रा के दौरान, श्री जगन्नाथजी, बलभद्रजी एवं सुभद्राजी अलग-अलग रथों पर सवार होकर अपनी मौसी के निवास गुंडिचा मंदिर जाते हैं, जो पुरी मंदिर से 3 किमी की दूरी पर है. आठ दिन के बाद वे पुरी मंदिर की ओर वापस लौटते हैं. प्रत्येक वर्ष जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन शुरू होती है और 8 दिन बाद यानी दशमी के दिन यह यात्रा श्री जगन्नाथजी, बलभद्रजी और सुभद्राजी की घर वापसी के साथ सम्पन्न होती है. इस रथयात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं, साथ ही इस भव्य आयोजन को देखने के लिए भारी संख्या में विदेशी पर्यटन भी पुरी आते हैं. मगर इस वर्ष कोविड 19 के मानकों का पालन करते हुए कम से कम लोगों को रथयात्रा में शामिल होने की अपील की गयी है.