कहावत मशहूर है कि घर में बरक्कत रसोईघर से ही आती है, और आयुर्वेद कहता है कि रसोईघर अपने आप में एक हेल्थ क्लिनिक है, जहां हर बीमारी का इलाज यहाँ रखे मसालों, सब्जियों एवं फलों आदि छिपा है. इन्हीं मसालों में एक है हरी सौंफ. हमारे देश में अधिकांश घरों में खाने के बाद फ्रेशनर के रूप में सौंफ का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इसको खाने से मुँह की बदबू दूर होती है. वास्तव में सौंफ में कॉपर, आयरन, कैल्सियम, पोटैशियम, सिलीनियम, ज़िन्क एवं मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स पाये जाते हैं. जो हमारे शरीर में भिन्न-भिन्न रूप में हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं. आइये जानें सौंफ में कितने दुर्लभ गुण छिपे हुए हैं.
ये पुरुषों में सेक्स पावर को बढ़ाता है
पिछले दिनों हुए एक शोध से मिले रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि सौंफ में जिंक और फाइबर बहुतायत मात्रा होते हैं, जो शीघ्र पतन पर नियंत्रण रखते हैं. कहने का आशय यह कि इसके नियमित सेवन से पुरुषों की सेक्स पावर बढ़ जाती है. शोध की रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों को रात में बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच सौंफ का पाउडर अच्छी तरह मिलाकर पीना चाहिए. कुछ ही दिनों में इसका प्रभाव देखा जा सकता है.
महिलाओं की कामोत्तेजना को बढ़ाता है
हरी सौंफ में कामोत्तेजक औषधि के कुछ तत्व निहित होते हैं, जो महिला हार्मोन एस्ट्रोजन के समान होते हैं. इन पौधों पर आधारित एस्ट्रोजन जैसे यौगिकों को फाइटोएस्ट्रोजन के नाम से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि ये तत्व महिलाओं में यौन इच्छा को उत्तेजित करते हैं.
नवजात शिशु की माँ के स्तन में दूध बढ़ता है.
नवजात शिशु की माँ को नियमित रूप से हरी सौंफ का सेवन करना चाहिए. क्योंकि हरी सौंफ में एथनॉल नामक तत्व पाया जाता है, जो फाइटोएस्ट्रोजन (phytoestrogen) है और नवजात शिशु की माओं के स्तन में दूध बनने की क्षमता को बढ़ाता है. हालिया शोध के अनुसार सौंफ में मौजूद एनेथोल जैसे डायनेथोल एवं फोटो एनेथॉल गैलेक्टोजेनिक प्रभाव डालते हैं. सौंफ के सेवन से दूध के स्राव में वृद्धि होती है.
मासिक धर्म के दर्द से राहत दिलाता है
हरा सौंफ श्रोणि (pelvic) और गर्भाशय के जगह (uterine area) में रक्त को नियमित और प्रचुर मात्रा में प्रवाह करवाकर मासिक धर्म (periods) के दौरान दर्द से राहत दिलाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार जो महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सौंफ का सेवन करती हैं, उन्हें मासिक धर्म की पीड़ा कम सहना पड़ता है. इसके लिए सौंफ की चाय अथवा दूध में इसका पाउडर मिलाकर किया जा सकता है. इसके अलावा सौंफ के काढ़े का भी सेवन किया जा सकता है. लेकिन सौंफ अथवा किसी भी ऐसे घरेलू उपचार अगर दो-तीन दिन में लाभ नहीं पहुंचाता है तो तुरंत किसी स्त्री-रोग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. यह भी पढ़ें : नपुंसकता की समस्या को दूर करने का कारगर इलाज है यह प्याज, रोमांस बढ़ाने के लिए जरूर करें इसका सेवन
मॉर्निंग सिकनेस से राहत दिलाता है
प्रेगनेंसी के दरम्यान अकसर महिलाओं को सुबह-सवेरे वोमेटिंग अथवा जी मचलाने आदि की शिकायत होती है, जिसका असर पूरे दिन या दिन में दो-चार बार रुक-रुक कर होता है. अमूमन ऐसी फीलिंग प्रेगनेंसी के तीसरे या चौथे माह से होती है. ऐसी स्थिति में सुबह के समय एक कप सौंफ की चाय पी लें अथवा सौंफ चबाकर खायें, ऐसा करने से मॉर्निंग सिकनेस से राहत मिल सकती है. इससे गर्भवती महिलाओं को अन्य छोटी-मोटी समस्याएं मसलन गैस अथवा पाचन से भी छुटकारा मिलता है.
कब्ज, गैस और यादाश्त के लिए रामबाण है सौंफ
गरम दूध में एक चम्मच सौंफ का पाउडर मिलाकर पीने रात में अच्छी नींद के साथ-साथ पाचन क्रिया सुचारु होती है, जिसके कारण गैस और एसीडिटी से मुक्ति मिलती है. गौरतलब है की रात लिए समय इस पेय के नियमित सेवन से मस्तिष्क सक्रिय रहता है, और यादाश्त तेज होता है.
शरीर की चर्बी को दूर करती है
सौंफ में फाइबर की मात्रा प्रचुर मात्रा में होता है. सौंफ का नियमित सेवन करने से शरीर में चर्बी या तो जमने नहीं पाती अथवा अतिरिक्त चर्बी खत्म होती है. इस वजह से शरीर का वजन कम होता है. ऐसा करके आप अपने मोटापे पर नियंत्रण रख सकते हैं. गरम दूध में एक चम्मच सौंफ का पाउडर मिलाकर पीने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी मेंटेन होता है.