होम आइसोलेशन (Home Isolation) : भारत में कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) की बढ़ती संख्या आम व्यक्ति की चिंता बढ़ा रही है. ऊपर से ऑक्सीजन (Oxygen) की किल्लत ने हालात को बद से बदतर बना दिया है. कोरोना संक्रमण इस गति से बढ़ रहा है कि बच्चे से लेकर वृद्ध सभी इसकी चपेट में आ रहे हैं. यहां कोरोना पॉजिटिव अथवा इससे मरने वालों की संख्या का हवाला देकर हम किसी को पैनिक नहीं होने देना चाहते, लेकिन यह जरूर कहेंगे कि वर्तमान में परिस्थिति ऐसी बन गई है कि आपको धैर्य और आत्मविश्वास के साथ इसका सामना करना होगा.
अगर घर का कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव आ गया है, तो किंचित पेनिक हुए बिना मरीज का स्वयं इलाज शुरू कर दीजिये. लेकिन उस पर निरंतर नजर रखिये, उससे सोशल डिस्टेंसिंग बनाते हुए उसकी देखभाल करें. क्योंकि देश के अधिकांश अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं, चिकित्सकों का अभाव है इसलिए स्वयं की देखरेख में मरीज का उपचार शुरू करें. इसके लिए आपको क्या-क्या करना है, आइये जानें... मरीज को घर पर ही आइसोलेट करने के लिए पहली जरूरत होती है, एक सुरक्षित कमरे की, साथ ही थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, शुगर एवं बीपी चेक करने का यंत्र और आवश्यक दवाइयां, तथा किसी एक चिकित्सक से ऑनलाइन संपर्क बनाए रखना, ताकि जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की मदद ली जा सके.
कैसा हो आइसोलेटेड कमरा?
कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट आते ही मरीज को एक अलग कमरे में रखें. कमरे में एक खिड़की एवं दरवाजा होना चाहिए. ताकि घर में ताजी धूप-हवा आती रहे. बंद कमरे में वायरस पनपता है. कमरे से अटैच बाथरुम होना चाहिए, जिसका इस्तेमाल केवल मरीज को ही करना चाहिए. अगर घर में एक ही बाथरूम है, तो मरीज के इस्तेमाल के बाद बाथरूम को अच्छी तरह डिस्इंन्फेक्ट करें, इसके बाद सेनेटाइज करने के बाद ही कोई अन्य व्यक्ति उस बाथरूम का इस्तेमाल करे. मरीज के चादर और तकिये का गिलाफ प्रतिदिन धुलवायें. दिन में एक बार मरीज के कमरे को डिस्इन्फेक्ट करना जरूरी है, ताकि वायरस का प्रसार नहीं होने पाये. यह भी पढ़ें : क्या पीरियड्स के आसपास COVID-19 Vaccine ली जा सकती है? जानें मासिक धर्म और कोरोना टीकाकरण को लेकर डॉक्टरों की सलाह
मरीज की नियमित जांच
ब्लड प्रेशर की जांचः- मरीज का ब्लड प्रेशर दिन में 2/3 बार अवश्य चेक करें. मरीज को बीपी की शिकायत कभी नहीं रही हो तब भी यह जांच जरूरी है. क्योंकि कोविड पॉजिटिव मरीज की ब्लड प्रेशर घट-बढ़ सकता है. गौरतलब है कि सामान्य व्यक्ति में 120/80 mmHg होती है. अगर यह 140/90 mmHg या इससे ज्यादा हो तत्काल चिकित्सक से राय मशविरा करें. इसी तरह लो ब्लड प्रेशर 90/60 mmHg हो जाये तो खून का प्रवाह धीमा हो जाता है. ऐसी स्थिति में भी चिकित्सक से तुरंत सलाह-मशविरा करें, जो मेडिसिन बताये, मरीज को यथाशीघ्र दें.
शुगर की जांचः- मरीज के शुगर की जांच भी नियमित करते रहें. आमतौर पर लो सुगर फास्टिंग 70/130 और भोजन करने के दो घंटे बाद 180 से नीचे होना चाहिए. सोने के समय 100/140 होना चाहिए. ध्यान रहे शुगर पर भी नियंत्रण रहना बहुत जरूरी है.
बुखार की जांचः- अमूमन एक स्वस्थ व्यक्ति का तापमान 98 से 99 डिग्री फारेनहाइट होता है, अगर ताप इससे ज्यादा हो तो उसे बुखार की अवस्था कहा जा सकता है. इस संदर्भ में भी चिकित्सक के संपर्क में रहें. डॉक्टर जो दवा लिखे कोशिश करें कि वही दवा मरीज को दें. उसका अल्टरनेट नहीं. यह भी पढ़ें : COVID-19: ब्लड में कैसे बढ़ाएं ऑक्सीजन लेवल? रक्त में क्या होती है इसकी भूमिका, जानें स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
मरीज को भाप एवं गार्गल कराते रहेः- जब तक मरीज आपके संरक्षण में है, उसे चिकित्सक के सुझाव अनुसार गार्गल एवं भाप करवाते रहें. साथ ही दिन में दो बार अनुलोम-विलोम भी अवश्य करवाये. आप मरीज से गुब्बारे भी फुलवा सकते हैं. लेकिन फूले हुए गुब्बारे बच्चों के हाथ में जाने से पहले उसे नष्ट कर दें.
ऑक्सीजन लेबलः- ऑक्सी मीटर से दिन में तीन बार ऑक्सीजन का लेबल चेक करते रहें. अगर खून का लेबल 96/98 तक है तो ठीक है. 94 तक आने पर चिकित्सक को बताएं और 90 से नीचे हो तो चिकित्सक से सलाह मशविरा करके मरीज को अस्पताल में एडमिट करायें.
ऐसी स्थिति में मरीज को अस्पताल ले जाएः- अगर मरीज़ को छाती में भारीपन लग रहा है, सांस फूल रही हो, ब्लड प्रेशर या शुगर है बहुत ज्यादा बढ़ गया है और चक्कर आ रहे हैं, तो बेहतर होगा आप मरीज को अस्पताल ले जायें. अगर आप पहले से किसी डॉक्टर कि सेवा ऑन लाइन लेते रहते हैं, तो वह आपके मरीज के लिए बेड की व्यवस्था अवश्य करवा सकता है.