लौह (Iron) एक खनिज मिनरल होता है, जो शरीर को सेहतमंद बनाए रखने में महत्वपूर्ण रोल निभाता है. आयरन की कमी से शरीर के तमाम फंक्शन प्रभावित होते हैं. शरीर में आयरन के असंतुलित होने की प्रक्रिया को आयरन की कमी बताया जाता है. इससे लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) का स्तर गिर सकता है. जिसका असर हिमोग्लोबिन के लेबल पर पड़ता है. ध्यान रखें हिमोग्लोबिन के निर्माण में आयरन की दो तिहाई भूमिका होती है. हिमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन होता है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने में (RBC) मदद करता है. यानी शरीर में आयरन की कमी हो जाये तो पूरे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो सकती है. यह स्थिति कभी-कभी घातक हो सकती है. शरीर में आयरन की कमी से होने वाले रोग, उसके कारणों, एवं उपचार इत्यादि पर दिल्ली के चिकित्सक डॉ जितेंद्र सिंह से विस्तार बात होती है.
नेशनल फैमिली हेल्थ द्वा्रा किये गये एक शोधानुसार भारत में लगभग 58.6 प्रतिशत बच्चे, 53.2 प्रतिशत महिलाएं और 50.4 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं लौह तत्व की कमी का शिकार हैं. यद्यपि सालों पहले से एनीमिया नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, लेकिन अभी भी व्यापक सुधार की जरूरत है. लौह तत्व की कमी से गर्भवती महिलाओं में दूध कम बनता है, जन्म लेनेवाले बच्चे का वजन बहुत कम होता है. डॉ जीतेंद्र बताते हैं, चूंकि आयरन का सीधा संबंध शरीर को जीवन देने वाली रक्तवाहिनियों से होता है, इसलिए आयरन की मात्रा में जरा भी ऊपर-नीचे होने पर तमाम तरह के रोगों को आमंत्रण मिलता है.
अत्यधिक थकानः आयरन की कमी का असर हिमोग्लोबिन के स्तर पर पड़ता है, और हिमोग्लोबिन ही शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है. हिमोग्लोबिन का लेबल कम होने से शरीर के विभिन्न हि्स्सों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से शरीर थका-थका सा लगता है. कभी-कभी चक्कर भी आता है.
घबराहटः हीमोग्लोबिन RBC में प्रोटीन की तरह कार्य करता है. इस प्रक्रिया में वह शरीर के विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन पहुंचाता है. हिमोग्लोबिन कम होने से ह्रदय को ऑक्सीजन ले जाने में काफी परिश्रम करना पड़ता है. इससे ह्रदय की धड़कने प्रभावित होती हैं, जिससे हार्ट फैल का खतरा भी हो सकता है.
बाल, त्वचा एवं नाखून का कमजोर होनाः आयरन का सीधा संबंध ऑक्सीजन से होता है. यदि शरीर में आयरन की कमी हो जाती है तो आपके अंगों तथा अन्य शारीरिक ऊतकों को अपने कार्य करने के लिए समुचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, इसका असर बालों, नाखुनों एवं त्वचा पर भी पड़ता है. इससे त्वचा रूखी एवं बाल तथा नाखून कमजोर होते हैं.
इसके अलावा त्वचा में पीलापन, ध्यान लगाने में कठिनाई, व्यायाम की क्षमता में कमी, बाल अथवा नाखून का कमजोर होना टूटना और हाथ एवं पैरों का ठंडा होना, जीभ में जलन, सूजन एवं दर्द महसूस होने की शिकायतें भी होती हैं. ऐसे में लौह तत्व की कमी का अहसास होते ही किसी अच्छे फीजिशियन से तत्काल मिलें, अगर वे रक्त की जांच करने के लिए कहते हैं तो तत्काल रक्त की जांच करवा कर इलाज शुरु करें. आपकी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. गौरतलब है कि शरीर में लौह तत्व की कमी से तमाम तरह की बीमारियां आपको परेशान कर सकती हैं.
मानव शरीर में लौह तत्व की अहमियत
शरीर में लौह तत्व की क्या अहमियत है?, इसकी कमी कैसे पूरी करें? और प्रति दिन कितना आयरन लेना चाहिए? इस सवाल के जवाब में डॉ. जीतेंद्र बताते हैं, मानव शरीर में हिमोग्लोबिन और हार्मोन्स के निर्माण के लिए भी लौह तत्व की जरूरत पड़ती है. लौह तत्व की कमी का प्रत्यक्ष असर हिमोग्लोबिन पर पड़ता है, हिमोग्लोबिन का स्तर प्रभावित होने से शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता, जो शरीर के लिए घातक हो सकता है. इसलिए मानव शरीर में प्रचुर मात्रा में लौह तत्व यानी आयरन का होना बहुत जरूरी है. यूं तो मानव शरीर की क्षमताओं के अनुरूप मिनरल लेना चाहिए, यह मरीज की जांच करने वाला चिकित्सक ही बता सकता है, लेकिन आमतौर पर एक स्वस्थ एवं वयस्क व्यक्ति को अधिकतम 45 एमजी ही आयरन लेनी चाहिए, डॉक्टर सिंह आगे बताते हैं कि हर व्यक्ति को कोशिश करनी चाहिए कि आयरन की कमी को खान-पान से संतुलित करे, और बिना विशेषज्ञ से परामर्श लिये कोई भी मेडिसिन नहीं लेना चाहिए. जहां तक खान-पान का मसला है तो निम्न खाद्य-पदार्थों से लौह तत्व की कमी पूरी की जा सकती है.
आयरन की कमी को दूर करने वाले आहार
आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आंवला और जामुन के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से भी रक्त की कमी पूरी होती है. इम्यूनिटी सिस्टम के लिए ब्रोकली का सेवन भी लाभकारी होगा. इसमें आयरन के अलावा विटामिन-सी भी पाया जाता है. विटामिन बी-6, विटामिन ए, विटामिन सी आयरन, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर पालक का सेवन बेहतर होता है. पालक के अलावा अनार, बीट रूट का सूप भी लिया जा सकता है. इसके अलावा हरी सब्जी, लौकी एवं कद्दू के बीज, शिमला मिर्च, हरे पत्तेदार सब्जियां, राजमा, ड्राय फ्रूट एवं किशमिश, मीट, चिकेन, अंडे, सी फूड भी आयरन का निर्माण करते हैं. डॉ जीतेंद्र कहते हैं कि बिना चिकित्सक के सुझाव के कोई भी मेडिसिन लेना नुकसानदेह हो सकता है. अलबत्ता एक बात और बताना चाहूंगा कि आयरन टैबलेट विटामिन सी यानी संतरे के रस के साथ लेना ही श्रेयस्कर होगा. तथापि आयरन टैबलेट खाली पेट लेना चाहिए.