Guru Purnima 2022: आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा का पर्व? जानें इसका महत्व एवं इस दिन कितने शुभ योगों का निर्माण हो रहा है!
गुरु पूर्णिमा 2022 (Photo Credits: File Image)

आदिकाल से भारत में गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वाह होता आया है. इसलिए भारत सदियों तक विश्व गुरु रहा है. इसलिए हमारे यहां गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन लोग अपने गुरुजनों की पूजा एवं विशेष सम्मान देते हैं.

भारत में गुरु-शिष्य परंपरा सदियों से निभाया जा रहा है. हर काल, हर युग में, हर काल में यहां एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ गुरुजनों का प्रादुर्भाव होता रहा है. भारत में गुरु अपने शिष्यों का केवल शैक्षिक विकास ही नहीं करते, बल्कि उसमें आदर्श एवं संस्कारों के बीज भी निरूपित करते है. एक समय तो गुरु अस्त्र-शस्त्र की भी शिक्षा देते थे. गुरुजनों को सम्मानित करने के लिए आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरुजनों को समर्पित करते हुए इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है. इस वर्ष 13 जुलाई, 2022, दिन बुधवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जायेगा. आइये जानें इस दिन के महत्व, शुभ मुहूर्त एवं निर्मित हो रहे अत्यंत शुभ योगों के बारे में...

आषाढ़ पूर्णिमा पर ही क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा

हिंदू धर्म अपने महान ग्रंथों के कारण दुनिया में सर्वश्रेष्ठ देश माना जाता है. हमारे यहां श्रीमद् भागवत, ब्रह्मसूत्र, 4 वेद, 18 पुराण, महाभारत और मीमांसा जैसे ग्रंथ दुनिया को दिये. जिनकी महत्ता आज कलयुग में भी भारत में ही नहीं बल्कि समस्त दुनिया मानी जाती है. यह भी पढ़ें : Bhadli Navami 2022: भड़ली नवमी पर ‘अबूझ मुहूर्त’ के साथ बन रहे हैं तीन शुभ योग! शुभ विवाह, घर, आभूषण एवं गाड़ी खरीदने का अंतिम दिन! वरना करना होगा 4 माह इंतजार!

गुरु पूर्णिमा का महत्व

भारतीय सभ्यता में गुरुजनों का विशेष स्थान माना जाता है. माना जाता है कि माता-पिता के बाद गुरु ही हैं जो व्यक्ति को सही दिशा में ले जाने का प्रयास करते हैं. इसलिए गुरुजनों के प्रति विशेष सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन सर्वोत्तम माना जाता है. और सौभाग्य से इस वर्ष बहुत सारे श्रेष्ठ ग्रहों का भी निर्माण होने से इस दिन का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है. दुनिया भर के मानव जाति के प्रति महर्षि वेदव्यास का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इन्होंने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था. इसलिए उन्हें प्रथम गुरु की उपाधि दी गई है. आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था और व्यास जयंती को व्यास पूजा करने की परंपरा निभाई जाती है.

गुरु पूर्णिमा की तिथि एवं अत्यंत शुभ योगों का निर्माण

इस वर्ष 2022 में 13 जुलाई को प्रातः 4.00 बजे से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी, और देर रात 12.06 (14 जुलाई) बजे पर पूर्णिमा तिथि रहेगी. 13 जुलाई को उदया तिथि में पूर्णिमा लगने के कारण 13 जुलाई को ही पूर्णिमा का पर्व मनाया जायेगा. व्रत रखने वाले इसी दिन व्रत रख सकते हैं. हिंदी पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल से ही इंद्र योग का निर्माण हो रहा है, जो अपराह्न 12.45 मिनट तक रहेगा. इसी दिन रात 11.18 बजे तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र रहेगा. इन दोनों योगों में बहुत सारे शुभ एवं मांगलिक कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी.

ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस दिन शश, हंस, भद्र एवं रुचक ये चार राजयोग भी निर्मित हो रहे हैं, इस दिन बुध ग्रह भी अनुकूल स्थिति में होंगे, जिससे बुधादित्य योग बन रहा है. इसी दिन शुक्र ग्रह भी अपने मित्र ग्रहों के साथ उपस्थित होंगे. ये सारे योग इतने शुभ माने जाते हैं कि इस दिन संतान को शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत करने से संतान का बौद्धिक विकास शीघ्रता से हो सकता है.