Bhadli Navami 2022: भड़ली नवमी पर ‘अबूझ मुहूर्त’ के साथ बन रहे हैं तीन शुभ योग! शुभ विवाह, घर, आभूषण एवं गाड़ी खरीदने का अंतिम दिन! वरना करना होगा 4 माह  इंतजार!
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits Pxfuel)

हिंदू धर्म शास्त्रों में कुछ दिन ऐसे होते हैं, जब बिना कोई शुभ मुहूर्त निकलवाये शुभ एवं मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं. इसे अबूझ मुहूर्त कहते हैं. ऐसा ही एक दिन है भड़ली नवमी, जिसे भड़्ल्या नवमी, भादरिया नवमी, बदरिया नवमी आदि के नाम से भी जाना जाता है. भड़ली नवमी प्रत्येक वर्ष आषाढ़ शुक्लपक्ष की नवमी के दिन पड़ता है. चूंकि 10 जुलाई 2022 से 4 नवंबर 2022 तक चातुर्मास लगने के कारण शुभ-मंगल कार्य बाधित रहेंगे. ऐसे में भड़ली नवमी का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है. अगर आप शीघ्र ही शुभ विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश एवं मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्य करना चाहते हैं, या घर, गाड़ी, आभूषण आदि खरीदना चाहते हैं तो आपके पास 8 जुलाई 2022 का एकमात्र दिन है, आप बिना मुहूर्त निकाले अपना कार्य सम्पन्न करवा सकते हैं.

भड़ली नवमी का महत्व

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भड़ली नवमी के दिन ही देवी इंद्राणी ने व्रत एवं पूजन के माध्यम से देवराज इंद्र को पति के रूप में प्राप्त किया था. भडल्या नवमी पर विवाह, सोने एवं चांदी के आभूषणों की खरीदारी, नया वाहन, भवन एवं भूमि आदि भी खरीदना शुभ माना जाता है. भड़ली नवमी के दो दिन बाद चातुर्मास शुरू हो जायेगा, यानी अगले चार मास तक विवाह एवं अन्य शुभ कार्य नहीं किये जा सकेंगे.

भड़ली नवमी की तिथि और समय

भड़ली नवमी प्रारंभः 07.28 PM (07 जुलाई, 2022) से

भड़ली नवमी समाप्त 06.25 PM (08 जुलाई, 2022) तक

उदया तिथि 08 जुलाई होने के कारण भड़ली नवमी 8 जुलाई, 2022 दिन शुक्रवार को मनाई जायेगी.

भड़ली नवमी पर बन रहे हैं तीन शुभ योग

ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस साल भड़ली नवमी के दिन तीन शुभ योग निर्मित हो रहे हैं, इस वजह से भी भड़ली नवमी का महत्व कई गुना बढ़ रहा है. ज्योतिष शास्त्री पंडित रवींद्र पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष भड़ली नवमी के दिन अत्यंत शक्तिशाली और महत्वपूर्ण शिव, सिद्ध एवं रवि योग का निर्माण हो रहा है. तीन योगों के संयोग के बीच आप शादी-विवाह ही नहीं कोई नया कार्य, गृह प्रवेश, नई फैक्टरी आदि का भी उद्घाटन कर सकते हैं. इन योगों के दौरान किये गये कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न होते हैं और चमत्कारी लाभ दिलाते हैं.

क्या है पूजा विधान

भड़ल्या नवमी के दिन भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है. भड़ली नवमी की पूजा करने वालों के सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेना चाहिए. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर श्रीहरि के साथ माँ लक्ष्मी के व्रत एवं पूजन का संकल्प लेना चाहिए. घर के मंदिर में विष्णु जी एवं माता लक्ष्मी को पहले पंचामृत से फिर गंगाजल से स्नान करायें तथा शुद्ध घी का दीप एवं धूप जलायें. श्रीहरि एवं माँ लक्ष्मी को अक्षत एवं रोली का तिलक लगाकर हल्दी, केसरिया रंग में रंगा चावल, मोगरे के फूलों का हार, पान, सिक्का, सुपारी, तुलसी पत्ता आजि अर्पित करें. प्रसाद में बादाम, पिस्ता, काजू, किशमिश, एवं मौसमी फल चढ़ाएं. भगवान विष्णु के निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें.

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

पूजा की समाप्ति में विष्णु जी की आरती उतारें और प्रसाद सभी को वितरित करें. अगले दिन स्नान-दान के पश्चात पारण किया जा सकता है.