Ganeshotsav & Vastu 2024: वास्तु के इन नियमों के अनुसार करें गणपति बप्पा की स्थापना, पूजा एवं विसर्जन!
गणेश चतुर्थी 2024 (Photo Credits: File Image)

गृह निर्माण, गृह सज्जा और गृह-पूजा आदि से लेकर मंदिर एवं देवी-देवता की स्थिति और पूजा तक में वास्तु के नियम लागू होते हैं. 07 जुलाई 2024 को गणेशोत्सव पर अगर आप गणपति बप्पा को घर पर आमंत्रित कर रहे हैं, तो स्थापना, पूजन एवं विसर्जन आदि की पूर्णता एवं शुभता के लिए वास्तु के नियमों के अनुसार करें. जानें इससे संबंधित वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण नियम..

गणेश स्थापना

स्थान चयन: गणपति बप्पा की स्थापना हमेशा घर के पूर्व अथवा उत्तर दिशा में करें. ये दिशाएं वास्तु के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं. यह भी पढ़ें : Ganesh Chaturthi 2024 Wishes: गणेश चतुर्थी की इन भक्तिमय हिंदी WhatsApp Messages, Photo SMS, Quotes, GIF Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

साफ-सफाई: पूजा स्थल को स्वच्छ और व्यवस्थित रखें. नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए सफाई महत्वपूर्ण है.

आसन और मंडल: बप्पा को लाल या पीला आसन प्रदान करें और उनके सामने एक स्वास्तिक या गणेश मंडल अवश्य बनाएं.

मूर्ति का आकार: मूर्ति का आकार घर के अनुसार होना चाहिए. छोटी मूर्तियां छोटे घरों के लिए और बड़ी मूर्तियां बड़े घरों के लिए उपयुक्त होती हैं.

पूजा विधि

सुनिश्चित समय: पूजा सुबह के समय करना उत्तम माना जाता है, खासकर सूर्योदय के समय.

अर्चना सामग्री: दूर्वा, लाल फूल, अक्षत (चावल), मिठाई और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी) का उपयोग करें.

मंत्र: गणेश जी के मंत्रों का जाप करें, जैसे ‘ॐ गण गणपतये नमः’ या ‘ॐ श्री गणेशाय नमः’.

आरती एवं भजन: गणेश जी की पूजा के बाद गणेश जी की आरती और भजन गाएं. यह पूजा को पूर्णता प्रदान करता है और वातावरण को भक्तिपूर्ण बनाता है.

गणपति विसर्जन

समय का चयन: गणेश विसर्जन की प्रक्रिया भी ध्यानपूर्वक करनी चाहिए। सुबह का समय सबसे अच्छा होता है, लेकिन यह भी ध्यान दें कि इस समय आपके लिए सुविधाजनक हो.

मूर्ति की स्थिति: विसर्जन के समय गणेश जी की मूर्ति को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें और उनकी पूजा समाप्ति के बाद ही विसर्जन करें.

सहेजना: विसर्जन के दौरान सम्मान पूर्वक मूर्ति को जल में विसर्जित करें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

संविधान: विसर्जन के लिए निकासी की व्यवस्था ठीक से करें. प्रतिमा विसर्जन के बाद उस स्थान को साफ करें और आभार के साथ पूजा का समापन करें. गणपति स्थल पर रात भर के लिए एक दीप प्रज्वलित करके अवश्य रखें.