Rabindranath Tagore Jayanti 2021 HD Images: रवींद्रनाथ टैगोर जयंती की शुभकामनाएं, भेजें ये हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIFs और Wallpapers
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021 (Photo Credits: File Image)

Rabindranath Tagore Jayanti 2021 HD Images: नोबल पुरस्कार विजेता और देश के महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti) हर साल 7 मई को मनाई जाती है. उनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोरसंको हवेली में हुआ था. रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे और बचपन में उन्हें प्यार से रबी कहकर पुकारा जाता था. उन्होंने बचपन से ही कविताएं, कहानियां और नाटक लिखना शुरु कर दिया था. रबींद्रनाथ ठाकुर जब 8 साल के थे, तब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी, जबकि 16 साल की उम्र में उनकी लघुकथा भी प्रकाशित हुई थी. रवींद्रनाथ की काव्यरचना गीतांजलि के लिए उन्हें साल 1913 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस सम्मान को पाने वाले वे पहले नॉन-यूरोपीय थे.

रवींद्रनाथ टैगोर को भारत व बांग्लादेश के राष्ट्रगान का रचयिता भी कहा जाता है. उन्होंने भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन' और बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' की भी रचना की थी. रवींद्रनाथ टैगोर जयंती पर आप इन शानदार एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ और वॉलेपपर्स को अपनों के साथ शेयर करके उन्हें शुभकामनाएं दे सकते हैं.

1- रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021 (Photo Credits: File Image)

2- रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021 (Photo Credits: File Image)

3- रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021 (Photo Credits: File Image)

4- रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021 (Photo Credits: File Image)

5- रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2021 (Photo Credits: File Image)

बता दें कि रवींद्रनाथ टैगोर की शुरुआती शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी. हालांकि उनके पिता यह चाहते थे कि उनका बेटा पढ़-लिखकर बैरिस्टर बने, इसलिए उन्होंने रवींद्रनाथ को कानून की पढ़ाई करने के लिए 1878 में लंदन भेजा. रवींद्रनाथ टैगोर को बचपन से ही साहित्य व लेखनी में रुचि थी, इसलिए कुछ समय तक लंदन के कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद वो बिना डिग्री लिए ही भारत लौट आए. इसके बाद उन्होंने कई रचनाएं लिखीं, जिनमें गीतांजलि ने लोगों को दिलों की जीत लिया. गीतांजलि लोगों को इतनी ज्यादा पसंद आई थी कि उसका अनुवाद अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, जापानी, रूसी जैसी कई भाषाओं में किया गया.