Rabindranath Tagore Jayanti 2024 Quotes in Hindi: महान बांग्ला कवि, गीतकार, संगीतकार, कहानीकार, नाटककार, चित्रकार, रचनाकार और निबंध लेखक के तौर पर विश्वविख्यात रबींद्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Tagore) यानी रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti) हर साल 7 मई को मनाई जाती है. भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन' और बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित जोड़ासांको में हुआ था. बेमिसाल साहित्यकार और महान क्रांतिकारी रवींद्रनाथ टैगोर को कबीगुरु और गुरुदेव जैसे नामों से भी जाना जाता है. बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवींद्रनाथ टैगोर ने सिर्फ 8 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी और 16 साल की उम्र में उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी.
रवींद्रनाथ टैगोर ने महान क्रांतिकारी के तौर पर आजादी की लड़ाई के दौरान अपनी लेखनी से लोगों के दिलों में क्रांति की अलख जगाई थी. इसके साथ ही उन्होंने जलियावाला बाग हत्याकांड का विरोध जताते हुए 'नाइटहुड' की उपाधि भी वापस लौटा दी थी. उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जिनका अनुसरण कर व्यक्ति अपने जीवन को एक नया आयाम दे सकता है. ऐसे में रवींद्रनाथ टैगोर जयंती पर आप उनके इन 10 अनमोल विचारों को अपनों संग शेयर कर उन्हें याद कर सकते हैं.
1- मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं, अगर मैं एक दरवाजे से नहीं जा पाया तो दूसरे से जाऊंगा या फिर एक नया दरवाजा बनाऊंगा.
2- तथ्य कई हैं पर सत्य एक है, अगर आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद करेंगे तो सच बाहर ही रह जाएगा.
3- हमें यह प्रार्थना नहीं करनी चाहिए कि हम पर परेशानियां न आएं, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका सामना निडर होकर करें.
4- नदी के किनारे खड़े होकर सिर्फ पानी को देखने से आप नदी पार नहीं कर सकते, इसके लिए आपको उसके भीतर जाना होगा.
5- बर्तन में रखा पानी चमकता है, जबकि समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ट शब्दों में बताया जा सकता है, जबकि महान सत्य हमेशा मौन रहता है.
6- वर्तमान चाहे कितना ही अंधकारमय क्यों न हो, कोशिश करेंगे तो कुछ शानदार सामने आएगा.
7- प्रेम चाहे किसी से भी हो, वो कभी अधिकार का दावा नहीं करता, क्योंकि प्रेम स्वतंत्रता देता है.
8- हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं, वो आगे एक भूत बनकर आपकी नींद में बाधा डालेगी.
9- जो कुछ भी हमारा है वह स्वयं हम तक चलकर आता है, अगर हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं.
10- आस्था... वो पक्षी है जो रात के अंधकार में भी सुबह के उजाले को महसूस करता है.
ज्ञात हो कि रवींद्रनाथ टैगोर को बंगाल का सांस्कृतिक उपदेशक भी कहा जाता है, क्योंकि बांग्ला लेखन पर उन्होंने अपने व्यक्तित्व की ऐसी छाप छोड़ी, जिसके चलते तत्कालीन लेखन का स्वरूप ही बदल गया. गुरुदेव ने अपने जीवन काल में कई मशहूर रचनाएं लिखीं, जिनमें गीतांजलि सबसे ज्यादा लोकप्रिय मानी जाती है. उनकी यह रचना लोगों को इतनी ज्यादा पसंद आई थी कि इसका अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, जापानी, रूसी जैसी कई भाषाओं में अनुवाद किया गया.