Rabindranath Tagore Jayanti 2024 Wishes: रवींद्रनाथ टैगोर जयंती की इन WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 (Photo Credits: File Image)

Rabindranath Tagore Jayanti 2024 Wishes in Hindi: हर साल 7 मई को रवींद्रनाथ टैगोर जी की जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti) मनाई जाती है. रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी रचनाओं के लिए लोग गुरुदेव कहकर संबोधित करते हैं. विश्वविख्यात कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार के तौर पर मशहूर रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का जन्म 7 मई, सन 1861 को पश्चिम बंगाल (West Bengal) के कोलकाता (Kolkata) स्थित जोड़ासांको में हुआ था. उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था और माता जी का नाम शारदा देवी था. गुरुदेव यानी रवींद्रनाथ टैगोर बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, उन्होंने अपने जीवनकाल में कई रचनाएं लिखीं, जिनमें गीतांजलि प्रमुख है. इस रचना के लिए उन्हें सन 1913 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

विलक्षण प्रतिभा के धनी होने के साथ-साथ रवींद्रनाथ टैगोर संगीत प्रेमी भी थे. उन्होंने अपने जीवन में दो हजार से भी ज्यादा गीतों की रचना की और उन्हें भारत व बांग्लादेश के लिए राष्ट्रगान लिखने का गौरव भी प्राप्त है. रवींद्रनाथ टैगोर जयंती के इस खास अवसर पर आप इन शानदार विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स के जरिए अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.

1- ​रवींद्रनाथ टैगोर जयंती की शुभकामनाएं

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 (Photo Credits: File Image)

2- रवींद्रनाथ टैगोर जयंती की हार्दिक बधाई

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 (Photo Credits: File Image)

3- हैप्पी रवींद्रनाथ टैगोर जयंती

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 (Photo Credits: File Image)

4- रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 (Photo Credits: File Image)

5- रवींद्रनाथ टैगोर जयंती मुबारक

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 (Photo Credits: File Image)

गौरतलब है कि रवींद्रनाथ टैगोर ने ही भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गन-मन’ और बांग्लादेश के राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ की रचना की थी. उन्होंने महज 8 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी और 16 साल की उम्र में वे कहानियां और नाटक लिखने लगे थे. साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने से पहले उन्हें सन 1915 में ब्रिटिश शासन ने नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था, लेकिन उन दिनों वे जलियांवाला बाग की दर्दनाक घटना से काफी व्यथित थे, जिसके चलते उन्होंने यह उपाधि लौटा दी.