Kalabhairav Jayanti 2019: देवों के देव महादेव (Mahadev) के भोले स्वरूप को भक्त भोलेनाथ (Bholenath) कहकर पुकारते हैं और उनका रौद्र रूप कालभैरव (Kaal Bhairav) कहलाता है. कालभैरव, जिनसे स्वयं काल भी भयभीत होते हैं. भगवान शिव के रौद्र रूप वाले कालभैरव (Kalabhairav) का प्राकट्य मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, इसलिए इस दिवस को कालभैरव जयंती (Kalabhairav) या कालाष्टमी (Kalashtami) के नाम से भी जाना जाता है. कालभैरव को भगवान शिव का पांचवां अवतार माना जाता है. मंगलवार 19 नवंबर 2019 को दोपहर 1.50 बजे से अष्टमी तिथि प्रारंभ होकर अगले दिन सुबह 11.41 बजे समाप्त होगी. भैरव अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर कालभैरव व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
इस दिन भैरव जी के मंदिर (Kaal Bhairav Temples) में जाकर उनके दर्शन करने चाहिए. भैरव जी का वाहन कुत्ता है, इसलिए इस दिन कुत्ते को मिठाई खिलाना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि भैरव अष्टमी के दिन व्रत करके विधि-विधान से पूजा करने पर मनुष्य को अकाल मृत्यु के भय और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा मान्यता यह भी है कि भगवान कालभैरव के प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. चलिए इस शुभ अवसर पर हम आपको बताते हैं कालभैरव के प्रसिद्ध मंदिर, जिनसे लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है.
1- काशी के कोतवाल, वाराणसी
भगवान शिव की नगरी काशी यानी बनारस में बारह ज्योतिर्लिंगों में शुमार काशी विश्वनाथ का मंदिर स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग से कुछ ही दूरी पर स्थित कालभैरव का मंदिर काफी प्रसिद्ध है. मान्यता है काशी नगरी की रक्षा स्वयं भगवान भैरवनाथ करते हैं, इसलिए उन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है.
2- बटुक भैरव, नई दिल्ली
भगवान कालभैरव के प्रसिद्ध मंदिरों की बात हो और दिल्ली के बटुक भैरव मंदिर का जिक्र न हो, ऐसा भला कैसे हो सकता है. जी हां नई दिल्ली के विनय मार्ग पर स्थित बटुक भैरव मंदिर को लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण पांडवों ने कराया था. यहां बटुक भैरव की प्रतिमा एक कुएं पर विराजमान है.
3- गोलू देवता, नैनीताल
देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित बटुक भैरव के प्रसिद्ध मंदिर को गोलू देवता के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां भक्त गोलू देवता को चिट्ठी लिखते हैं और मनोकामना पूरी होने पर घंटियां चढ़ाते हैं. यही वजह है कि इस मंदिर में लाखों अद्भुत घंटे और घंटियों का संग्रह देखने को मिलता है.
4- कालभैरव मंदिर, उज्जैन
मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक ओर जहां भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में शुमार महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है तो वहीं उज्जैन नगरी में उनके रौद्र रूप कालभैरव का भी मंदिर मौजूद है, जो काफी प्रसिद्ध है. यहां स्थित कालभैरव मंदिर की विशेषता है कि यहां विराजमान कालभैरव की प्रतिमा मदिरापान करती है. यहां भक्त भैरवनाथ को चढ़ावे के तौर पर मदिरा अर्पित करते हैं. यह भी पढ़ें: Kalabhairav Jayanti 2019 Wishes & HD Photos: कालभैरव जयंती के शुभ अवसर पर इन शानदार WhatsApp Stickers, GIF Images, Facebook Greetings और HD Wallpapers के जरिए दें प्रियजनों को शुभकामनाएं
5- बाजनामठ भैरव मंदिर, जबलपुर
मध्य प्रदेश के जबलपुर में बाबा भैरवनाथ का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिससे लोगों की आस्था जुड़ी है. मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर को गोंड राजा और संग्राम शाह के शासनकाल में बनाया गया था. बाजनामठ भैरव के नाम से मशहूर कालभैरव का यह मंदिर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है.
गौरतलब है कि इन मंदिरों के अलावा भैरवनाथ के कई मंदिर देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद हैं. उत्तर प्रदेश के मथुरा, मध्य प्रदेश के उज्जैन, झारखंड के काका धाम देवघर और महाराष्ट्र के नागपुर में पाताल भैरव के चमत्कारी मंदिर स्थित हैं. ये मंदिर प्राचीन होने के साथ-साथ भैरवनाथ के चमत्कार के लिए जाने जाते हैं. मान्यता है कि कालभैरव के इन मंदिरों में दर्शन करने से अकाल मृत्यु के भय और सभी कष्टों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.