Christmas 2018: हर साल 25 दिसंबर (December 25th) को क्रिसमस (Christmas) का पर्व पूरी दुनिया में मनाया जाता है. ईसाई समुदाय के सबसे बड़े पर्व क्रिसमस को मनाने के लिए तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं. इस मौके पर लोग अपने घरों को सजाते हैं, क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) घर लाते हैं, सांता क्लॉज (Santa Clause) आते हैं और वो बच्चों को ढेर सारे उपहार देते हैं. इसके अलावा इस जश्न में शरीक होने वाले लोग भी एक-दूसरे को तोहफे देकर इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं. हालांकि दुनिया भर में क्रिसमस के त्योहार को लेकर कई तरह की मान्यताएं (Beliefs) भी प्रचलित हैं. कहीं क्रिसमस केक (Cake) के बिना इसका जश्न अधूरा माना जाता है तो कहीं क्रिसमस ट्री के बिना.
बेशक, क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री का बेहद खास महत्व होता है, लेकिन इस ट्री को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी प्रचलित हैं. कहीं क्रिसमस ट्री का उपयोग भूत भगाने के लिए किया जाता है तो कहीं बच्चों की लंबी उम्र का राज इस ट्री में छुपा हुआ है. चलिए जानते हैं क्रिसमस ट्री से जुड़ी कुछ प्रचलित मान्यताएं.
क्रिसमस ट्री से जुड़ी मान्यताएं-
- बेल्जियम, नॉर्वे, स्वीडन और हॉलैंड जैसे यूरोपीय देशों में क्रिसमस ट्री की टहनियों का इस्तेमाल भूत-प्रेत भगाने के लिए किया जाता है. इन देशों में क्रिसमस ट्री को लेकर यह मान्यता है कि इस पेड़ की टहनियों को रोपने से भूत-प्रेत और बुरी आत्माएं दूर भाग जाती हैं. यह भी पढ़ें: Merry Christmas 2018 Wishes: इन शानदार Facebook messages, Whats App Stickers व SMS के जरिए हर किसी को करें विश और कहें 'मैरी क्रिसमस'
- प्राचीन रोम की एक मान्यता के अनुसार, क्रिसमस ट्री की एक छोटी शाखा को एक शिशु ने भोजन और आवास के बदले कुछ आदिवासियों को दिया था. कहा जाता है वो शिशु कोई और नहीं, बल्कि खुद ईसा मसीह थे.
- इस ट्री से जुड़ी अन्य प्रचलित मान्यता के अनुसार, कई जगहों पर इसे बच्चों की लंबी आयु के लिए सजाया जाता है. माना जाता है कि इसे सजाने से घर के बच्चों की उम्र लंबी होती है. इसके साथ ही घर के लोगों की सेहत भी अच्छी रहती है.
- क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है और कहा जाता है कि इसे सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरु हुई थी, जिसके बाद यह परंपरा इंग्लैंड पहुंची और फिर धीरे-धीरे दुनिया भर में इस परंपरा का पालन किया जाने लगा.
- प्राचीन काल से ही क्रिसमस ट्री को जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता रहा है. बताया जाता है कि क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा 17वीं शताब्दी से शुरू हुई थी. इस ट्री को सजाने के साथ-साथ इस पर छोटी-छोटी मोमबत्तियां लगाई जाती हैं. यह भी पढ़ें: Happy Holidays Christmas Google Doodle: क्रिसमस पर यूजर्स के लिए गूगल ने बनाया खास डूडल
- कहा जाता है कि क्रिसमस ट्री की कहानी ईसा मसीह के जन्म से जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार, जब ईसा मसीह का जन्म हुआ, तब उनके माता-पिता मरियम और जोसेफ को बधाई देने के लिए स्वर्गदूत भी आए थे. उस दौरान सदाबहार फर के वृक्ष को सजाया गया था, तब से ही सदाबहार फर को क्रिसमस ट्री के तौर पर मान्यता दे दी गई और तब से लेकर अब तक हर साल क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है.