संसद में मोदी सरकार की दूसरी बड़ी जीत, ट्रिपल तलाक के बाद अब आतंकवाद विरोधी बिल-UAPA भी राज्यसभा में पास
अमित शाह और पीएम मोदी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा (Rajya Sabha) में पेश किए गए ‘विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक, 2019’ का अधिकतर विपक्षी दल विरोध कर रहे है. शुक्रवार को भी बहस के दौरान विपक्ष ने गैर कानूनी गतिविधि निवारण में संशोधन के लिए लाये गये एक विधेयक के प्रावधानों का दुरूपयोग होने की आशंका जताई. वहीं इस विधेयक के बचाव में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ सभी को एकजुट होना चाहिए. आतंक का कोई धर्म नहीं होता है, यह विधेयक किसी विशेष सरकार या व्यक्ति के खिलाफ नहीं है. हालांकि प्रस्ताव खारिज होने के कारण यह विधेयक सिलेक्ट कमेटी को नहीं भेजा गया और अंत में मैन्युअल वोटिंग के बाद पारित हो गया. इस बिल के पक्ष में 147 वोट और विपक्ष में 42 वोट पड़े.

संशोधन में प्रस्तावित प्रावधानों के दुरुपयोग के बारे में सदस्यों के बीच भय को दूर करते हुए अमित शाह ने पहले कहा था कि यह संशोधन व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित करने की केवल तभी अनुमति देता है जब कानून के अनुसार उचित प्रक्रिया के बाद पर्याप्त सबूत हों. गिरफ्तारी या जमानत प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. इसलिए यह स्पष्ट है कि किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा.

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के निरीक्षक स्तर पर अपराधों की जांच करने के संबंध में उनका कहना था कि विभिन्न स्तरों पर एनआईए में केसों का रिव्यू किया जाता है इसलिए निरीक्षक के द्वारा जांच करने पर भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी. इस संशोधन के पीछे उद्देश्य यह है कि जांच जल्दी हो.

गृह मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि एनआईए ने पिछले तीन साल में यूएपीए के तहत 418 लोगों को गिरफ्तार किया है. जबकि यूएपीए के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने इस दौरान इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ), नेशनल लिबरेशन फ्रंट इन त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोरम (एटीटीएफ) को गैर-कानूनी संगठन घोषित किया.