गोरखपुर, 11 दिसम्बर : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा है कि टीमवर्क (Team work)के नतीजे हमेशा बेहतर होते हैं. मुख्यमंत्री यहां एम्स में गुरुवार को आयोजित स्वस्थ पूर्वी उत्तर प्रदेश- एक पहल अभियान के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि, "रोगों की रोकथाम में एम्स सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों को भी उसी भूमिका में आना पड़ेगा. शीर्ष संस्थानों से यही अपेक्षा भी की जाती है. लैब से बेहतर शोध फील्ड में हो सकता है. इसलिए फील्ड में जाकर काम करें. इलाज अंतिम विकल्प है. शुरूआत रोकथाम से ही करें. रोकथाम से ही पूर्वी उत्तरप्रदेश में चार दशकों से मासूमों की काल बनी इंसेफ्लाइटिस पर नियंत्रण मिला." उन्होंने कहा कि, "अब हम इसके खात्मे के करीब हैं. कमोबेस यही स्थिति कोरोना की भी है. हम इसके खिलाफ जंग जीतने ही वाले हैं. पर तब तक ढिलाई की कोई जरूरत नहीं. इस तरह के कामों के लिए एम्स नजीर बन सकता है."
योगी ने कहा कि, "पूर्वी उत्तर प्रदेश पर प्रकृति व परमात्मा की असीम कृपा है. इसलिए यहां देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा है. गोरखपुर-बस्ती मंडल, पूर्वी-उत्तरी बिहार व नेपाल के लगभग पांच करोड़ लोगों की स्वास्थ्य सेवा की जिम्मेदारी गोरखपुर पर है. जब हम समस्या को ठीक से समझ लेते हैं तो बेहतर परिणाम आता है. यहां लोगों ने लंबे समय तक इंसेफ्लाइटिस से होती मौतों को देखा है. 38 जिले इससे सीधे प्रभावित थे. 1977 से मौतें हो रही थीं. इस बीमारी से प्रभावित लोग वोट बैंक तो बने लेकिन इनके बारे में किसी भी दल ने सत्ता में आने के बाद सोचा तक नहीं."
"बतौर सांसद इसे मैंने सड़क से लेकर संसद तक मुद्दा बनाया. मुख्यमंत्री बनने के बाद इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी प्रयास शुरू किया. आज इंसेफ्लाइटिस पर हमने लगभग 95 फीसदी नियंत्रण पा लिया है. एक साल में 600 से 1200 मौतें होती थीं. इस साल इनकी संख्या 21 से 25 के बीच है. यदि हम पोलियो पर विजय प्राप्त कर सकते हैं तो आने वाले दिनों में टीबी को भी नियंत्रित करने में सफल होंगे. जरूरत सिर्फ सकारात्मक भाव से काम करने की है."
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, "कोरोना के प्रबंधन व नियंत्रण में प्रदेश पूरी तरह सफल रहा. अब हम अंतिम विजय पाने के करीब हैं. एक माह में हमारे पास वैक्सीन आ चुकी होगी. इस महामारी से अमेरिका में 8 फीसदी मौतें हुईं. देश के अन्य विकसित राज्यों में इनकी संख्या तीन से पांच फीसदी थी. उत्तर प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या मात्र 1.04 फीसदी है. यदि कुछ सीनियर फैकल्टी अपने कार्यो में लापरवाही नहीं बरती होती, तो यह आंकड़ा एक फीसदी से भी नीचे रहता. हमारे प्रबंधन व नियंत्रण की डब्ल्यूएचओ ने भी सराहना की. इस पर भी रिसर्च पेपर लिखा जाना चाहिए."