Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima), पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक शुभ अवसर है, यह हमारे शिक्षकों के सम्मान के लिए समर्पित दिन है, चाहे वे आध्यात्मिक मार्गदर्शक हों या अकादमिक गुरु. यह कृतज्ञता, श्रद्धा, ज्ञान और बुद्धि के मूल्यों पर जोर देता है और उन्हें बढ़ावा देता है. इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, गुरु पूर्णिमा हिंदू महीने आषाढ़ (जून-जुलाई) में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. गुरु पूर्णिमा को गुरुजनों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है तथा ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करने वाले गुरुओं की भूमिका को स्वीकार किया जाता है. संस्कृत में "गुरु" शब्द आध्यात्मिक शिक्षक या मार्गदर्शक का प्रतीक है, जबकि "पूर्णिमा" पूर्णिमा के दिन का प्रतीक है. यह भी पढ़ें: Hariyali Teej Vrat 2025: कब है हरियाली तीज? जानें इस व्रत का महत्व, मूल-तिथि, मंत्र एवं पूजा अनुष्ठान के बारे में!
क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा
हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत धार्मिक महत्व है. यह महर्षि वेद व्यास के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्होंने हिंदू महाकाव्य, महाभारत का संकलन किया था और जिन्हें भारतीय परंपरा में सबसे महान आध्यात्मिक गुरुओं में से एक माना जाता है. लेकिन गुरु पूर्णिमा केवल हिंदू धर्म तक ही सीमित नहीं है. इस त्योहार का बौद्ध और जैन धर्म में भी गहरा महत्व है. बौद्ध इस दिन को भगवान बुद्ध के सम्मान में मनाते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद इसी दिन उन्होंने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था. जैन लोग भगवान महावीर और उनके प्रमुख शिष्य गौतम स्वामी को श्रद्धांजलि देने के लिए गुरु पूर्णिमा मनाते हैं.
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन को वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. वेद व्यास हिंदू महाकाव्य महाभारत के रचयिता होने के साथ-साथ एक पात्र भी थे. गुरु पूर्णिमा विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है.













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