पूरा हो रहा है CM योगी का पूर्वांचल के विकास का सपना, धार्मिक-आध्यात्मिक पर्यटन निभा रहा अहम भूमिका
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

लखनऊ, 28 दिसम्‍बर : मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ (Yogi Adityanath) का पूर्वांचल के विकास का सपना आकार लेने लगा है. इसमे धार्मिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र की महती भूमिका होगी. ऐसा इसलिए भी की उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आने वाले 65 प्रतिशत पर्यटकों की पसंद पूर्वांचल के दो धार्मिक-सांस्कृतिक जनपद काशी व कुशीनगर हैं. आध्यात्मिक विरासत के लिहाज से ऐतिहासिक ये दोनों जिले बुद्धिस्ट पर्यटन के सबसे बड़े केंद्र माने जाते हैं और पूर्वांचल में पर्यटन को बुद्धिस्ट पर्यटन के समानांतर समझा जाता है. इसके साथ ही प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya) और शिववतारी गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली गोरखपुर (Gorakhpur) भी पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थानों में हैं. इन्ही तथ्यों के मद्देनजर पूर्वांचल में पर्यटन की संभावनाओं को विकसित करने और पर्यटकों को आर्कषित करने की कार्य योजना का खाका खींचा जा चुका है.

पूर्वांचल विकास परिषद की पर्यटन समिति के सदस्‍य व डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्‍वविद्यालय फैजाबाद के पूर्व कुलपति प्रो मनोज दीक्षित ने अभी हाल में ही पूर्वांचल में पर्यटन का विकास कैसे किया जाए, इसे लेकर मुख्‍यमंत्री के सामने प्रेजेंटेशन दिया था. इसमें पूर्वांचल के पर्यटन स्‍थलों, विशेषकर भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों को बिहार से जोड़ने, पूर्वांचल के छोटे मेलों व सांस्कृतिक आयोजनों को देव दीपावली की तर्ज पर मनाने और पर्यटकों को सुगम यातायात उपलब्‍ध कराने जैसे तमाम सुझाव प्रस्‍तुत किए गए थे.

प्रेजेंटेशन में बताया गया कि पूर्वांचल सांस्‍कृतिक रूप से बहुत ही समृद्ध क्षेत्र है लेकिन शुरू से ही यहां पर बुनियादी सुविधाएं, उचित ग्रामीण शिक्षा व रोजगार का अभाव रहा है. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के साढ़े तीन सालों के कार्यकाल में पूर्वांचल ने विकास का नया युग देखा है. एक तरफ पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे तो दूसरी तरफ यहां के पर्यटन विकास के बाद बेरोजगारी और बुनियादी समस्‍याएं खत्‍म हो जाएगी. इस योजना से पूरे पूर्वांचल का विकास होगा. आंकड़ों के अनुसार वाराणसी और कुशीनगर पूरे उत्तर प्रदेश में आने वाले पर्यटकों में से 65 प्रतिशत को आकर्षित करते हैं. पूर्वांचल की सांस्कृतिक तथा प्राकृतिक सम्पदा अद्भुत है लेकिन इसका उपयोग न तो आर्थिक शक्ति के लिए हो सका और न ही पर्यटन के लिए. विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए इनका जरा भी उपयोग नहीं किया गया. यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में नए धर्मांतरण अध्यादेश के तहत प्रतिदिन औसतन एक से अधिक गिरफ़्तारी

बुद्धिस्‍ट पर्यटन को रख कर हो विकास :

प्सीएम के समक्ष प्रस्तुतिकरण में सुझाव दिया गया कि पूर्वांचल का विकास बुद्धिस्‍ट पर्यटन को केन्‍द्र में रखकर करने की जरूरत है. पूर्वांचल के सांस्कृतिक सम्पर्क बिहार से हैं लेकिन ऐसा कोई आयोजन नहीं होता, जिससे ये दोनों जुड़ सकें. अयोध्या के दिव्य दीपोत्सव और वाराणसी की देव दीपावली की तरह यहां पर आयोजनों की जरूरत है. कुशीनगर की बिहार के बोध गया से दूरी अधिक है. पर्यटक को सीधे आने में समस्या होती है. इसके लिए सीधा रेल लिंक होना चाहिए.

यह सुझाव देंगे पर्यटन को रफ्तार :

1. अवध-मिथिला के मध्य सड़क, रेल, जल या वायु सम्पर्क न के बराबर है. इसे बनाना होगा.

2. अयोध्या का सावन झूला एक प्रमुख आकर्षण बन सकता है. राम जन्म: दीपोत्सव तथा दशहरा अयोध्या के प्रमुख पर्यटन आकर्षण हो सकते हैं.

3. उत्तर प्रदेश सरकार को राजस्थान की भांति अपनी विशेष पर्यटक ट्रेनें चलाने की दिशा में कार्य प्रारम्भ कर देना चाहिए.

4. मिर्जापुर और सोनभद्र में फिल्म सिटी की स्थापना प्रस्तावित रही है. इसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है. इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

5. प्रमुख स्थलों पर पारम्परिक मेलों को आयोजित करने में मदद करना चाहिए. यह भी पढ़ें : देश की खबरें | उत्तर प्रदेश : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने किसान सम्मान निधि के लिये प्रधानमंत्री का आभार जताया

6. मेले कम से कम दो सप्ताह के लिए आयोजित किए जाए, जिससे पारम्परिक मेलों के स्वरूप, मूल्य आदि को पुनः स्थापित किया जा सकें.

7. अयोध्या में दशहरे से दीपावली के मध्य और काशी में दीपावली से देव दीपावली के बीच गोरखपुर में मकर संक्रांति के आस पास बड़े मेले आयोजित होते थे. उनका संवर्धन किया जाना चाहिए.

8. प्रयागराज में पारम्परिक माघ मेला को “वार्षिक कुम्भ” के नाम से री-ब्रांडिंग कर प्रति वर्ष आयोजित कर पूरी दुनिया को आकर्षित किया जा सकता है.

9. इसी का एक लघु रूप अयोध्या में भी आयोजित हो सकता है. क्योंकि प्रयाग में संगम और अयोध्या में सरयू स्‍नान की युति एक प्राचीन परम्परा है.

10. सावन-झूला एक बहुत बड़ा आकर्षण बन सकता है.