Bangladesh Violence: 'पड़ोसी मुल्क में कोई भी समुदाय न हो हिंसा का शिकार', बांग्लादेश में जारी बवाल पर बोले अखिलेश यादव

बांग्लादेश हिंसा पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नजरिये वाला बहुसंख्यक हो, हिंदू, सिख , बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता माननेवाला अल्पसंख्यक हो, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए.

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Bangladesh Violence: 'पड़ोसी मुल्क में कोई भी समुदाय न हो हिंसा का शिकार', बांग्लादेश में जारी बवाल पर बोले अखिलेश यादव

बांग्लादेश हिंसा पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नजरिये वाला बहुसंख्यक हो, हिंदू, सिख , बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता माननेवाला अल्पसंख्यक हो, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए.

राजनीति Shivaji Mishra|
Bangladesh Violence: 'पड़ोसी मुल्क में कोई भी समुदाय न हो हिंसा का शिकार', बांग्लादेश में जारी बवाल पर बोले अखिलेश यादव
Credit - ANI

Bangladesh Violence: बांग्लादेश हिंसा पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नजरिये वाला बहुसंख्यक हो, हिंदू, सिख , बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता माननेवाला अल्पसंख्यक हो, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए. भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख्ती से उठाया जाना चाहिए. ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है. इससे पहले अखिलेश यादव ने लिखा था कि विभिन्न देशों में तख्तापलट सत्ता-विरोधी आंदोलन विभिन्न कारणों से होते रहे हैं. देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है.

''सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर, एक व्यक्ति के रूप में हर निवासी-पड़ोसी की रक्षा करना भी हर सभ्य समाज का मानवीय-दायित्व होता है, फिर वह चाहे किसी काल-स्थान-परिस्थिति में कहीं पर भी हो''

ये भी पढें: 1971 War Memorial Statue Vandalised: बांग्लादेश में 1971 युद्ध स्मारक की मूर्ति तोड़ी गई, शशि थरूर ने हिंसा और तोड़फोड़ पर जताई नाराजगी

बांग्लादेश  में कोई भी समुदाय न हो हिंसा का शिकार: अखिलेश यादव

इतिहास हमें सिखाता है कि किसी और देश के राजनीतिक हालातों का इस्तेमाल जो सत्ता अपने देश में अंदर, अपनी सियासी मंसूबों को पूरा करने के लिए करती है. वो देश को आंतरिक और बाह्य दोनों स्तर पर कमजोर करती है. कई बार किसी देश के आंतरिक मामलों से प्रभावित होने वाले, किसी अन्य देश द्वारा एकल स्तर पर हस्तक्षेप करना वैश्विक राजनयिक मानकों पर उचित नहीं माना जाता है. ऐसे में उस प्रभावित देश और उसके अपने सांस्कृतिक रूप से संबंधित व्यक्तियों की चतुर्दिक रक्षा के लिए उस देश को अपनी मूक विदेश नीति को सक्रिय करते हुए, विश्व बिरादरी के साथ मिलकर साहसपूर्ण सकारात्मक मुखर पहल करनी चाहिए, जिससे सार्थक समाधान निकल सके. जो सरकार ऐसे में मूक-दर्शक बनी रहेगी, वो ये मानकर चले कि ये उसकी विदेश नीति की नाकामी है.

Bangladesh Violence: 'पड़ोसी मुल्क में कोई भी समुदाय न हो हिंसा का शिकार', बांग्लादेश में जारी बवाल पर बोले अखिलेश यादव
Credit - ANI

Bangladesh Violence: बांग्लादेश हिंसा पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नजरिये वाला बहुसंख्यक हो, हिंदू, सिख , बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता माननेवाला अल्पसंख्यक हो, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए. भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख्ती से उठाया जाना चाहिए. ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है. इससे पहले अखिलेश यादव ने लिखा था कि विभिन्न देशों में तख्तापलट सत्ता-विरोधी आंदोलन विभिन्न कारणों से होते रहे हैं. देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है.

''सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर, एक व्यक्ति के रूप में हर निवासी-पड़ोसी की रक्षा करना भी हर सभ्य समाज का मानवीय-दायित्व होता है, फिर वह चाहे किसी काल-स्थान-परिस्थिति में कहीं पर भी हो''

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बांग्लादेश  में कोई भी समुदाय न हो हिंसा का शिकार: अखिलेश यादव

इतिहास हमें सिखाता है कि किसी और देश के राजनीतिक हालातों का इस्तेमाल जो सत्ता अपने देश में अंदर, अपनी सियासी मंसूबों को पूरा करने के लिए करती है. वो देश को आंतरिक और बाह्य दोनों स्तर पर कमजोर करती है. कई बार किसी देश के आंतरिक मामलों से प्रभावित होने वाले, किसी अन्य देश द्वारा एकल स्तर पर हस्तक्षेप करना वैश्विक राजनयिक मानकों पर उचित नहीं माना जाता है. ऐसे में उस प्रभावित देश और उसके अपने सांस्कृतिक रूप से संबंधित व्यक्तियों की चतुर्दिक रक्षा के लिए उस देश को अपनी मूक विदेश नीति को सक्रिय करते हुए, विश्व बिरादरी के साथ मिलकर साहसपूर्ण सकारात्मक मुखर पहल करनी चाहिए, जिससे सार्थक समाधान निकल सके. जो सरकार ऐसे में मूक-दर्शक बनी रहेगी, वो ये मानकर चले कि ये उसकी विदेश नीति की नाकामी है.

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NHRC Bangladesh Members Resignation: सांप्रदायिक तनाव के बीच बांग्लादेश में मानवाधिकार आयोग के सभी सदस्यों ने दिया इस्तीफा

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