पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Photo Credits: PTI)
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अभूतपूर्व योगदान देने वाले पूर्व राष्ट्रपति एवं भारत रत्न प्रणव मुखर्जी (Pranab Mukherjee) का सोमवार शाम करीब साढ़े पांच बजे निधन हो गया. बीते कुछ दिनों से उनकी तबियत खराब चल रही थी. हाल ही में वे कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रिफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उनके फेफड़ों में संक्रमण होने की वजह से उन्हें वेंटीलेटर पर रख गया था.
प्रणब दा का राजनीतिक सफर
प्रणब मुखर्जी केवल एक नेता मात्र नहीं थे। देश के सर्वश्रेष्ठ बुद्धिजीवियों में उनका नाम लिया जाता रहा है। राष्ट्र की सेवा में अनुकरणीय योगदान देने वाले प्रणब मुखर्जी 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे. 2019 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया.उन्होंने अपने जीवन के पचास से अधिक वर्ष बतौर राजनेता देश की सेवा में दिए.
प्यार से लोग उन्हें प्रणब दा कहकर पुकारते थे. खास बात यह है कि चाहे कांग्रेस पार्टी हो या फिर संसद के गलियारे, प्रणब दा का हर कोई सम्मान करता था. चाहे पक्ष के हों या विपक्ष के कोई भी नेता उनकी बात को मना नहीं करता था. हर कोई उनके साथ काम करने के लिए लालायित रहता था.
प्रणब मुखर्जी का जन्म वीरभूम जिले में एक छोटे से गांव मिराती में, 11 दिसंबर, 1935 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी स्वतंत्रता सेनानी थे और कांग्रेस पार्टी के सदस्य भी। उनकी माता का नाम राजलक्ष्मी था. उनके पिता स्वतंत्रता संग्राम में कई बार जेल गए थे और अंग्रेज शासन के दौरान तमाम यातनाएं सही थीं.
प्रणब दा ने कोलकाता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि तथा विधि में उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कॉलेज शिक्षक और पत्रकार के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन शुरू किया। राष्ट्रीय आंदोलन में, अपने पिता के योगदान से प्रेरणा लेकर श्री मुखर्जी संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) में चुने जाने के बाद, वर्ष 1969 में पूरी तरह सार्वजनिक जीवन में कूद पड़े। प्रणब मुखर्जी का विवाह रवीन्द्र संगीत की निष्णात गायिका और कलाकार स्व. श्रीमती सुव्रा मुखर्जी से हुआ था। उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं.
राजनीतिक जीवन
प्रणब मुखर्जी के अंदर एक बेहतरीन नेता की पहचान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की जब उन्होंने 1969 में मिदनापुर उपचुनाव के दौरान स्वतंत्र उम्मीदवार वीके कृष्ण मेनन के प्रचार की जिम्मेदारी संभाली और उसमें सफल हुए। तब किसी को नहीं पता था कि जो प्रणब दा आज चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे हैं, कल देश की कमान संभालेंगे। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने उनकी उस काबीलियत को भाप लिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल कर लिया। न कोई ब्लॉक चुनाव न ग्राम पंचायत, न महापौर न विधायक, प्रणब दा सीधे राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 1969 में राज्य सभा सांसद बनने के साथ उनका राजनीतिक सफर अधिकारिक तौर पर शुरू हुआ.
प्रणब मुखर्जी को पांच बार राज्य सभा में और दो बार लोकसभा में बतौर सांसद चुना गया। वे 23 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च इकाई कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रहे। केंद्र सरकार में उन्होंने उद्योग, जहाजरानी एवं परिवहन, इस्पात एवं उद्योग उपमंत्री, वित्त राज्य मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, वाणिज्य मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, आदि समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं और 2012 में देश के प्रथम नागरिक बने.
उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रशासनिक सुधार के कई कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान निभाई। उनमें सूचना का अधिकार, रोजगार का अधिकार, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, मैट्रो रेल आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। मुखर्जी को व्यापक कूटनीतिक अनुभव प्राप्त है और वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक तथा अफ्रीकी विकास बैंकों के संचालक मंडलों में रहे हैं.
उन्होंने 7 पुस्तकें लिखीं- बियोंड सर्वाइवल : एमर्जिंग डायमेंशन्सऑफ इन्डियन इकॉनॉमी (1984), ऑफ द ट्रैक (1987), सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस (1992), चैलेंजेस बिफोर द नेशन (1992), थॉट्स एंड रिफ्लैक्शन्स (2014), द ड्रामैटिक डेकेड: द इंदिरा गांधी ईयर्स (2014) और द ट्रबुलेंट ईयर्स - 1980-1996 (2016).
प्रणब दा का राजनीतिक सफर
1969: पहली बार राज्य सभा सदस्य चुने गए
1973: उप मंत्री, औद्योगिक विकास (फरवरी, 1973 से जनवरी, 1974 तक)
1974: उप मंत्री, पोत-परिवहन एवं सड़क परिवहन (जनवरी 1974 से अक्तूबर, 1974 तक)
1975: दूसरी बार राज्य सभा के लिए चुने गए
1975: वित्त राज्य मंत्री (अक्तूबर से दिसंबर 1975 तक)
1975: राजस्व एवं बैंकिंग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) (दिसंबर 1975 से मार्च, 1977 तक)
1978: सदस्य, कांग्रेस कार्य समिति (27 जनवरी, 1978 से 18 जनवरी, 1986 तक )
1978: राज्य सभा में कांग्रेस पार्टी के उपनेता बने और 1908 तक इस पद पर रहे
1980: वाणिज्य एवं इस्पात और खान मंत्री (जनवरी, 1980 से जनवरी, 1982 तक)
1980: राज्य सभा में सदन के नेता बने और 1985 तक इस पद पर रहे
1981: तीसरी बार राज्य सभा के लिए चुने गए
1982: देश के वित्त मंत्री बने और करीब दो वर्ष अपनी सेवाएं दीं (जनवरी, 1982 से दिसंबर 1984 तक)
1984: वाणिज्य एवं आपूर्ति मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार (सितंबर से 31 दिसंबर 1984 तक)
1985: अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी
1991: उपाध्यक्ष, योजना आयोग (जून, 1991 से मई, 1996 तक)
1993: चौथी बार राज्य सभा सांसद चुने गए
1993: वाणिज्य मंत्री (जनवरी, 1993 से फरवरी, 1995 तक)
1996: राज्य सभा में कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक (1996-2004)
1996: सदस्य, कार्य मंत्रणा समिति, विशेषाधिकार समिति तथा नियम समिति सदस्य, विदेश मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति (1996-99)
1997: सदस्य, कांग्रेस कार्य समिति (1997 से 25 जून, 2012 तक)
1997: अध्यक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथापर्यावरण एवं वन संबंधी संसदीयस्थाई समिति
1998: अध्यक्ष, गृह मामलों संबंधीस्थाई समिति (जून, 1998 से मई, 2004 तक)
1999: पांचवीं बार राज्य सभा के सांसद चुने गए
2000: अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (अगस्त, 2000 से जून 2010 तक)
2004: लोक सभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के जंगीपुर से सीपीआईएम के अब्दुल हस्नत खान को 36,860 वोटों से हराया
2004: लोक सभा के नेता बने और इस पद पर जून, 2004 से जून, 2012 तक रहे
2004: रक्षा मंत्री बने और करीब दो वर्ष इस पद पर रहे
2006: विदेश मंत्री बने और तीन वर्ष तक अपनी सेवाएं दीं
2009: वित्त मंत्री बने और 2009 तक वित्तमंत्री रहे
2009: लगातार दूसरी बार जंगीपुर संसदीय सीट से जीते, उन्होंने सीपीआईएम के मृगांक शेखर भट्टाचार्य को 1,28,149 वोटों से हराया
2009: एक बार फिर वित्तमंत्री बने और 2012 तक इस पद पर रहे
2012: 25 जून, 2012 को राष्ट्रपति के पद पर चुनाव लड़ने सेपूर्व कांग्रेस पार्टी से त्याग-पत्र दिया
2012: 25 जुलाई, 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया.
पुरस्कार व सम्मान
1984 : यूरो मनी द्वारा दुनिया के 5 सर्वश्रेष्ठ वित्तमंत्रियों में शामिल किए गए
1997 : सर्वश्रेष्ठ सांसद
2008 : द्वितीय उच्चतम् असैनिक पुरस्कार पद्म विभूषण
2010 : लंदन की मैगजीन इमर्जिंग मार्केट्स ने फाइनेंस मिनिस्ट ऑफ दि ईयर से नवाज़ा
2011 : सर्वश्रेष्ठ भारतीय प्रशासक का पुरस्कार
2013: ढाका विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि
2014: कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि
2015: रसियन डिप्लोमैटिक एकेडमी द्वारा मानद डाक्टरेट
2015: बेलारूस स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा मानद प्रोफेसर की उपाधि
2015: जॉर्डन विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट
2015: अल-कुद्स विश्वविद्यालय, फिलस्तीन द्वारा मानद डॉक्टरेट
2015: हिब्रू विश्वविद्यालय, इजराइल द्वारा मानद डॉक्टरेट
2016: काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल द्वारा मानद डाक्टरेट की उपाधि
2019: देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया
(इनपुट- राष्ट्रपति भवन)