नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Bill) के विरोध करने वाले पूर्वोत्तर के राज्यों में अब मणिपुर का नाम भी जुड़ गया है. मणिपुर की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने केंद्र से राज्य को नागरिकता (संशोधन) विधेयक के अधिकार क्षेत्र से छूट देने का अनुरोध किया है. मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह (N. Biren Singh) की अध्यक्षता में एक बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को फैसला किया कि केंद्र से अनुरोध किया जाएगा कि वे नागरिकता (संशोधन) विधेयक के प्रस्तावित कानून को लागू न करे.
केंद्र सरकार के इस बिल के अनुसार पड़ोसी देशों से आए हिंदू, सिख और बौद्धों को भारत में नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा और इस बिल के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठिए को देश छोड़कर जाना होगा. यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. लोकसभा ने 8 जनवरी को नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित किया था, जिसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उन गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आ गए थे. यह भी पढ़ें- PM मोदी ने मणिपुर की जनता को दिए कई तोहफे
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्र और संबंधित अधिकारियों से विधानसभा द्वारा पारित मणिपुर पीपुल्स (प्रोटेक्शन) विधेयक- 2018 पारित करने को मंजूरी देने का अनुरोध करने का भी फैसला किया. जुलाई 2018 में पारित इस विधेयक में मणिपुरी और गैर मणिपुरी नागरिकों को परिभाषित किया गया है. साथ ही मूल निवासियों के हितों और पहचान की रक्षा करने के लिए उनके प्रवेश व प्रस्थान का नियमन करने का प्रावधान है.
मणिपुर कांग्रेस भी नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ है. उसने मणिपुर सरकार से इस पर फैसला लेने के लिए तत्काल विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की है. मणिपुर में बीजेपी नेशनल पीपुल्स पार्टी, नगा पीपुल्स फ्रंट और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन सरकार है. बीजेपी के एन बीरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हैं.