सुषमा स्वराज के फैसले पर राजनीति शुरू, चिदंबरम बोले, MP की हवा देख छोड़ा मैदान
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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2019 में चुनाव न लड़ने का ऐलान कर सबको चौंका दिया. वहीं इस फैसले के बाद देश में सियासी गहमागहमी तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सुषमा स्वराज के बयान को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से जोड़ दिया है. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है कि सुषमा ने मध्य प्रदेश में बीजेपी की हालत को देखकर यह फैसला लिया है. सुषमा स्मार्ट हैं. वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट कर लिखा कि कि संसद में विदेश मंत्री के रूप में मैंने सुषमा स्वराज को हमेशा उदार पाया है.

वहीं चिदंबरम के ट्वीट के जवाब में सुषमा स्वराज ने भी ट्वीट कर लिखा कि, मैं राजनीति से संन्यास नहीं ले रही हूं, ये सिर्फ इतना भर है कि स्वास्थ्य कारणों से मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लडूंगी. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यहां मंगलवार को कहा कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने कहा कि मैनें अपना मन बना लिया है कि मैं अगला चुनाव नहीं लड़ूंगी. सुषमा ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने फैसले से पार्टी को अवगत करा दिया है.

सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल ने फैसले का किया स्वागत

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल ने मंगलवार को उनके 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, "मैडम (सुषमा स्वराज) अब और चुनाव नहीं लड़ने के आपके फैसले के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. मुझे याद है कि एक वक्त ऐसा आया था, जब मिल्खा सिंह ने दौड़ना बंद कर दिया था.

सुषमा स्वराज का राजनीतिक जीवन

सुषमा स्वराज ने 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ राजनीति कदम रखा था. इस दौरान जयप्रकाश आंदोलन में हिस्सा भी लिया. वहीं साल 1975 में स्वराज कौशल के साथ सुषमा की शादी हुई. सुषमा स्वराज के नाम 1977 में चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में 25 वर्ष की उम्र में ही राज्य की कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड दर्ज है. 27 साल की उम्र में वे जनता पार्टी (हरियाणा) की प्रमुख भी बनी थीं.

सुषमा स्वराज भारतीय संसद की एकमात्र महिला सांसद हैं, जिन्हें ‘असाधारण सांसद’ के पुरस्कार से नवाजा गया है. 1975 में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट स्वराज कौशल से उनका विवाह हुआ. दोनों का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने विशेष कपल के रूप अपने बुक दर्ज है. सुषमाजी के प्रभावशाली भाषण का ही कमाल है कि अक्सर संसद में विपक्ष भी उनकी तारीफ़ करने से खुद को रोक नहीं पाए. बता दें कि 2014 का चुनाव जीतने के बाद सुषमा को मोदी सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया था.