नई दिल्ली. मोदी सरकार देश में एक देश एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ सकती हैं. केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के सामने भले संवैधानिक दिक्कतें हों लेकिन सूत्रों की माने तो बीजेपी एक साथ 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराकर एक देश एक चुनाव की दिशा में बड़ा उदारहण प्रस्तुत कर सकती है. इसके लिए किसी तरह के संविधान संशोधन व कानूनी बदलावों की जरूरत भी नहीं होगी. देश में लोकसभा चुनाव 2019 होना है उसके 6 महीने पहले और फिर 6 महीने बाद देश में विधानसभा चुनाव होना है.
बता दें कि नरेंद्र मोदी देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही लगातार 'वन नेशन वन इलेक्शन' का मुद्दा उठाते रहे हैं. वहीं सूत्रों की माने तो देश के अधिकांश दल एक देश एक चुनाव पर अपनी सहमती जाता चुके हैं. लेकिन सभी दलों के हामी के बाद भी भी संविधान में संशोधन करना पड़ेगा और इसके लिए शीतकालीन सत्र तक इंतजार करना पड़ सकता है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. दो से तीन महीनो के लिए इन चार राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
वहीं लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनाव नवंबर 2019 में होने हैं. यह बीजेपी शाहित राज्य हैं. जहां पर चुनाव बीजेपी करा सकती है. अगर बात जम्मू कश्मीर की करें तो वहां पर फिलहाल गवर्नर का शासन लगा हुआ है. जिसके कारण वहां पर भी चुनाव होने की संभावना है. वहीं अप्रैल मई में कम से कम 11 राज्यों के चुनाव हो सकते हैं. इसके अलावा बिहार में भी चुनाव हो सकता है क्योंकि वहां पर बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार है और नीतीश कुमार खुद इसके समर्थक हैं.
अमित शाह ने विधि आयोग को लिखा पत्र
बीजेपी ने लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ करवाने की मांग की है. अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि एक साथ चुनाव होने से चुनावों पर होने वाले भारी खर्च में हजारों करोड़ रुपये की कटौती होगी. बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी की अगुवाई में पार्टी के एक प्रतिनिधमंडल द्वारा सौंपे गए पत्र में शाह ने कहा कि लगातार चलने वाली चुनाव प्रक्रिया से राष्ट्रीय संसाधनों पर दबाव पड़ा है और भारत जैसे प्रगतिशील लोकतंत्र में विकास कार्य और नीतिगत फैसले चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने से रुक जाते हैं.