VIDEO: भारत की कूटनीति के सामने पस्त हुआ चीन, 10 महीने बाद पैंगोंग झील क्षेत्र कर रहा खाली, भारतीय सेना ने दिया सबूत
पैंगोंग झील को खाली कर रही चीनी सेना (Photo Credits: ANI)

नई दिल्ली: करीब दस महीने बाद पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में स्थित पैंगोंग झील (Pangong Lake) क्षेत्र में भारत और चीन की सेना के बीच का गतिरोध समाप्त हो रहा है. दोनों ही देशों के सैनिक और टैंक वापस लौट रहे है. पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों के डिसइंगेज होने का वीडियो और इमेज बुधवार को भारतीय सेना ने जारी किया है. दरअसल चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर 4 क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति में बदलाव किया था. जिसके बाद भारत ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए इलाके में जवानों की तैनाती बड़ी संख्या में बढ़ा दी थी. पूर्वी लद्दाख के इलाकों से सैनिकों का पीछे हटना चीन के समक्ष आत्मसमर्पण है: एके एंटनी

भारतीय सेना के नॉर्दन कमांड द्वारा जारी वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि चीनी सैनिक पिछने हटने के साथ ही वहां बनाए गए अपने शेल्टर को भी नष्ट कर रहे हैं और अन्य संरचनाओं को भी कब्जे के पहले जैसे किया जा रहा है. यह भारत और चीन के बीच एलएसी के पास कई बिंदुओं पर चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए सैनिकों के पीछे हटने संबंधी समझौते के अनुसार हो रहा है.

हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने पैंगोंग त्सो में वर्तमान में जारी फौजों की वापसी के संबंध में मीडिया और सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ा कर पेश की जा रही कुछ गलत और भ्रामक टिप्पणियों पर संज्ञान लिया. बयान में कहा गया “भारतीय क्षेत्र फिंगर 4 तक होने का दावा स्पष्ट रूप से गलत है. भारत का क्षेत्र भारत के नक्शे द्वारा दर्शाया गया है और इसमें 1962 से चीन के अवैध कब्जे में वर्तमान में 43,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक का क्षेत्र शामिल है. यहां तक कि भारतीय धारणा के अनुसार एलएसी भी फिंगर 8 पर है, फिंगर 4 पर नहीं. यही कारण है कि भारत ने चीन के साथ मौजूदा समझ सहित फिंगर 8 तक गश्त करने का अधिकार लगातार बनाए रखा है.”

पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर दोनों पक्षों की स्थायी चौकियां पुरानी तथा सुस्थापित हैं. भारत की ओर से यह फिंगर 3 के पास धन सिंह थापा पोस्ट और चीन की ओर से फिंगर 8 के पूर्व में है. वर्तमान समझौते में दोनों पक्षों द्वारा आगे तैनाती की समाप्ति और इन स्थायी चौकियों पर निरंतर तैनाती का प्रावधान है.

भारत ने इस समझौते के परिणामस्वरूप किसी भी क्षेत्र को नहीं खोया है. इसके विपरीत, भारत ने एलएसी का पालन और सम्मान सुनिश्चित किया है तथा यथास्थिति में एकतरफा ढंग से किए गए किसी भी बदलाव को रोका है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया गया कि हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग सहित शेष समस्याओं का समाधान किया जाना है. इन सभी शेष मुद्दों को पैंगोंग त्सो में फौजी डिसइंगेजमेंट पूरा होने के 48 घंटे के भीतर उठाया जाना है.

रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में हमारे राष्ट्रीय हित और क्षेत्र की प्रभावी सुरक्षा इसलिए हुई है क्योंकि सरकार ने सशस्त्र बलों की क्षमताओं पर पूरा विश्वास जताया है. जो लोग हमारे सैन्य कर्मियों द्वारा बलिदान देकर अर्जित की गई उपलब्धियों पर संदेह करते हैं, वे वास्तव में उनका अनादर कर रहे हैं.