Jawaharlal Nehru Death Anniversary 2019: लाल किले पर तिरंगा फहराने वाले पहले शख्स थे पंडित जवाहर लाल नेहरू, जानें उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से
पंडित जवाहरलाल नेहरू की 55वीं पुण्यतिथि (Photo Credits: Facebook)

Pandit Jawaharlal Nehru Death Anniversary 2019:भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) की आज 55वीं पुण्यतिथि (Death Anniversary) है. उनका निधन 27 मई 1964 को हुआ था. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (Allahabad) में 14 नवंबर 1889 को हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की. उसके बाद महज 15 साल की उम्र में वो इंग्लैंड चले गए. उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से प्रकृति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया और साल साल 1912 में भारत लौटने के बाद सीधे राजनीति से जुड़ गए. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई और देश की आजादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने.

नेहरू जी सिर्फ देश के पहले प्रधानमंत्री ही नहीं थे, बल्कि दिल्ली के लाल किले (Red Fort) पर तिरंगा फहराने वाले भी पहले शख्स थे. राजनीति में सक्रिय होने के बावजूद वे फिल्मों के भी शौकीन थे. उन्हें बच्चों से बेहद प्यार था, इसलिए आज भी बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर संबोधित करते हैं. नेहरू जी की 55वीं पुण्यतिथि के मौके पर चलिए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े 10 दिलचस्प और अनसुने किस्से.

जवाहरलाल नेहरू से जुड़े 10 दिलचस्प किस्से-

1- पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म एक नामी और इज्जतदार घराने में हुआ था. उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक नामचीन और रुतबेदार वकील हुआ करते थे. उनके पिता इंडियन नेशनल कांग्रेस के लीडर भी थे. उनकी माता का नाम स्वरूप रानी था जो एक कश्मीरी ब्राह्मण थीं. यह भी पढ़ें: Children's day 2018: पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्मदिन के अलावा भी बहुत कुछ खास है इस तारीख में, जानें 14 नवंबर से जुडी विशेष बातें

2- जवाहरलाल नेहरू पढ़ने-लिखने के मामले में काफी होनहार छात्र थे. इलाहाबाद में बचपन गुजारने के बाद वे 15 साल की उम्र में वे इंग्लैंड के हैरो स्कूल में आगे की पढ़ाई करने के लिए चले गए. हैरों से वे कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए, जहां उन्होंने प्रकृति विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और लंदन के इनर टेंपन में दो साल रहकर उन्होंने वकालत की पढ़ाई की.

3- भारत लौटने के करीब 4 साल बाद दिल्ली में बसे कश्मीरी परिवार की कमला कौल के साथ उनका विवाह करा दिया गया. उनका विवाह 1916 में हुआ था. 1919 में पंडित जवाहर लाल नेहरू महात्मा गांधी के साथ आ गाए और उनके साथ कई जगहों पर गए. उन्होंने 1920 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान संभाली.

4- साल 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस हत्याकांड के बाद मौलाना मोहम्मद अली जौहर के कहने पर उन्हें जलियांवाला कांड के कारणों की जांच के लिए बनायी गई समिति का सदस्य बनाया गया.

5- साल 1947 में जब अंग्रेजी हुकूमत से देश आजाद हुआ तब पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. वो अक्सर ऊंची कॉलर वाली जैकेट पहनते थे, उनके इस पहनावे ने उन्हें फैशन आइकन बना दिया, क्योंकि हर कोई उनके पहनावे का दीवाना था.

6- स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पद की कमान संभालते ही उन्होंने नवीन भारत के सपने को साकार करने की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ाया. उन्होंने साल 1950 में कई नियम बनाए और उन नियमों के जरिए आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक विकास को एक नई दिशा प्रदान की.

7- पंडित जवाहरलाल नेहरू करीब 9 बार जेल गए थे. जेल में रहते हुए उन्होंने बेटी इंदिरा को 146 पत्र लिखे. जो उनकी किताब 'ग्लिंपसेस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री' (Glimpses of World History) का हिस्सा हैं.

8- पंडित जवाहरलाल नेहरू को साल 1950 से 1955 तक करीब 11 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन नोबल पुरस्कार के लिए उन्हें स्टॉक होम जाने का सौभाग्य कभी प्राप्त नहीं हो पाया. यह भी पढ़ें: बाल दिवस 2018: जानिए 14 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है Children’s Day

9- नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा. दरअसल, दूसरे विश्वयुद्ध के बाद खस्ताहाल और विभाजित भारत का नवनिर्माण करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन उन्होंने एक स्वस्थ लोकतंत्र की नींव रखी और उसे मजबूत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.

10- नेहरू जी फिल्मों के भी काफी शौकीन थे. साल 1954 में रिलीज हुई फिल्म मिर्जा गालिब में सुरैया ने गालिब की पांच गजलों को अपनी आवाज दी थी. सुरैया की आवाज के साथ ही उनकी आंखों में इतनी गहराई थी कि जो भी उन्हें देखता उसमें समाता चला जाता था. जब प्रधानमंत्री नेहरू ने सुरैया की गाई इन गजलों को सुना तो वो भी उनके दीवाने हो गए थे.

भारत की राजनीति और नवीन भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जवाहरलाल नेहरू की तबीयत 27 मई 1964 की सुबह अचानक खराब हो गई और दोपहर में करीब दो बजे उनका निधन हो गया. हालांकि अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा- मैं चाहता हूं कि मेरी मुट्ठीभर राख प्रयाग के संगम में बहा दी जाए, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखरा दिया जाए.