
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइंस एयर इंडिया को घाटे से निकालने के लिए केंद्र सरकार की विनिवेश वाली पहल को झटका लगा है. एयर इंडिया की हालत सुधारने के लिए मोदी सरकार ने इसकी 76% हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था. लेकिन अभी तक किसी भी प्राइवेट कंपनी ने हिस्सेदारी लेने के लिए दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
केंद्र सरकार ने कहा है कि एयर इंडिया के विनिवेश के लिए कोई बोली नहीं मिली. नागर विमानन मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया कि ''लेनदेन सलाहकार ने सूचित किया है कि एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए निकाले गए रुचि पत्र (ईओआई) के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.’’ बयान में कहा गया है कि इस पर आगे की कार्रवाई उचित तरीके से तय की जाएगी.
As informed by the Transaction Adviser, no response has been received for the Expression of Interest floated for the strategic disinvestment of Air India. Further course of action will be decided appropriately.— Ministry of Civil Aviation (@MoCA_GoI) May 31, 2018
नागर विमानन मंत्रालय ने एयर इंडिया की बोली के लिए 31 मई तक की डेडलाइन तय की थी. ईवाई को इस प्रकिया के लिए लेनदेन सलाहकार नियुक्त किया गया था. एयर इंडिया पिछले कई साल से घटे में चल रही है जिसके बाद केंद्र सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश के लिए बोली लगवाने का ऐलान किया था.
गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने कोई खरीददार नहीं मिलने के कारण बोली की अंतिम तारीख को 14 मई से बढ़ाकर 31 मई कर दी थी. इस प्लान के तहत केंद्र सरकार एयर इंडिया में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पास ही रखेगी.
28 मार्च को जारी ज्ञापन के अनुसार बोली जीतने वाली कंपनी को कम से कम तीन साल तक एयरलाइन में निवेश करना ही होगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक एयर इंडिया मार्च 2017 के अंत तक लगभग 48,000 करोड़ रुपये के भारी भरकम कर्ज के बोझ में चल रही थी.